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दिल्ली में ओली
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की छह दिवसीय भारत दौरे से दोनों देशों के बीच संबंधों की बेहतरी की उम्मीदें हैं. ऐसे संकेत हैं कि पिछले कुछ महीने के तनाव भरे माहौल से दोनों देश बाहर निकल चुके हैं और विभिन्न मुद्दों पर परस्पर सहमति बनाने की कोशिश में हैं. प्रधानमंत्री ओली ने पिछले महीने […]
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की छह दिवसीय भारत दौरे से दोनों देशों के बीच संबंधों की बेहतरी की उम्मीदें हैं. ऐसे संकेत हैं कि पिछले कुछ महीने के तनाव भरे माहौल से दोनों देश बाहर निकल चुके हैं और विभिन्न मुद्दों पर परस्पर सहमति बनाने की कोशिश में हैं. प्रधानमंत्री ओली ने पिछले महीने ही कह दिया था कि वह पूर्व प्रधानमंत्रियों की पहली विदेश यात्रा के रूप में भारत का दौरा करने की परंपरा को निभायेंगे.
सिर्फ पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ही एक ऐसे नेपाली प्रधानमंत्री रहे हैं, जो 2008 में पद संभालने के बाद भारत नहीं आ सके थे. दोनों देशों के बीच तनाव उभरने की शुरुआत पिछले वर्ष मई में नेपाल में भूकंप से हुई बरबादी के दौरान भारतीय मीडिया से नेपाली जनता की नाराजगी से हुई थी. इस नाराजगी का असर राजनीतिक और कूटनीतिक तौर पर नहीं हुआ था, पर नागरिक संबंधों में खटास जरूर पैदा हुई थी. सितंबर में नेपाल के पहले पूर्ण संविधान के लागू होने के बाद मधेशी समुदाय में असंतोष तथा हिंसा के वातावरण में राजनीतिक कटुता बढ़ने लगी थी. नेपाल ने भारत पर उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने, मधेशी समुदाय को उकसाने तथा आर्थिक नाकेबंदी का आरोप लगाया था.
भारत ने इन आरोपों का खंडन किया था, लेकिन हालात सामान्य होने में पांच महीने लग गये. भारत-नेपाल संबंधों की तल्खी का लाभ उठाने के मकसद से चीनी मीडिया ने अक्तूबर से प्रधानमंत्री ओली को ‘चीन-समर्थक’ तथा उनके गंठबंधन को ‘चीन के प्रति मित्रता का भाव रखनेवाला’ बताना शुरू कर दिया था.
तब भारत में भी प्रधानमंत्री मोदी की नेपाल-नीति पर सवाल उठने लगे थे. लेकिन नेपाल सरकार और मधेशी समुदाय के बीच गतिरोध समाप्त होने तथा दोनों देशों के बीच यातायत के सामान्य होने के तुरंत बाद ही दोनों तरफ से सकारात्मक संकेत आने लगे. बहरहाल, ओली की यात्रा के दौरान आर्थिक सहयोग से जुड़े चार महत्वपूर्ण समझौतों पर सहमति की आशा है, जिसमें भारत द्वारा घोषित एक बिलियन डॉलर के ऋण तथा नेपाल के पुनर्निर्माण के लिए अतिरिक्त एक बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता भी शामिल हो सकते हैं.
संकेत स्प्ष्ट हैं कि भारत और नेपाल के प्रधानमंत्री सभी जरूरी मुद्दों पर खुल कर चर्चा करेंगे और परस्पर भरोसे की बहाली के लिए प्रयासरत होंगे. नेपाल और भारत की सांस्कृतिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक निकटता का सुदीर्घ इतिहास है. दोनों सरकारें इस निकटता के महत्व से भली-भांति परिचित हैं. उम्मीद है कि ओली की इस यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों तथा विश्वास को नयी ऊर्जा मिलेगी.
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