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गांवों को भी बनाया जाये स्मार्ट
प्रधानमंत्री ने देश के 100 शहरों को स्मार्ट बनाने की घोषणा की है, जिससे 12 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे. इन 100 शहरों में लोगों को बहेतर स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात, बिजली व पानी की व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी. अब सवाल यह उठता है कि क्या 12 करोड़ लोगों ने ही देश का पीएम चुना था. क्या […]
प्रधानमंत्री ने देश के 100 शहरों को स्मार्ट बनाने की घोषणा की है, जिससे 12 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे. इन 100 शहरों में लोगों को बहेतर स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात, बिजली व पानी की व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी.
अब सवाल यह उठता है कि क्या 12 करोड़ लोगों ने ही देश का पीएम चुना था. क्या देश की बची आबादी को बेहतर सुविधा की आवश्यकता नहीं है क्या? एक तरफ स्मार्ट सिटी में आधुनिक सुविधा मुहैया करायी जायेगी और बाकी बदहाली में रहेंगे.
हालांकि भारत की अधिकतर आबादी गांवों में बसती है. इसलिए शहरों को स्मार्ट बनाने से पहले गांवों को सुविधाओं से लैस करना जरूरी है. यदि गांव स्मार्ट हो जायेंगे, तो पूरा देश अपने आप स्मार्ट हो जायेगा.
आज भी लाखों गांवों में शुद्ध पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य से संबंधी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. गांवों में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक है. बीमारी के कारण असमय बच्चे मौत के शिकार हो जाते हैं और इलाज के अभाव में लोगों की मौत हो रही है.
इस स्थिति में गांवों को बेहतर बनाने के बजाय सिर्फ 100 शहरों को स्मार्ट बनाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वहीं, यदि गांव स्मार्ट हो जायेंगे, तो शहरों पर से अनावश्यक लोड कम हो जायेगा और अधिकतर आबादी गांवों में ही रुक जायेगी. कहने का मतलब है कि रोजगार व बेहतर सुविधा के लिए पलायन नहीं होगा.
नयी सरकार बनने के बाद लोगों में आस जगी थी कि गांवों में भी विकास पहुंचेगा, लेकिन शहरों को स्मार्ट और गांवों की उपेक्षा से यह आस टूटने लगी है. केंद्र सरकार को शहर के साथ गांवों को स्मार्ट बनाने की पहल करनी चाहिए, ताकि गांव के लोग भी उपेक्षित नहीं समङो और उनकी बदहाली दूर हो जाये.
प्रताप तिवारी, इमेल से
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