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लालटेन युग में जीने को मजबूर लोग
आज देश की शहरी आबादी भले ही 21वीं सदी के भारत में जी रही हो, लेकिन झारखंड के सीमावर्ती जिले चतरा के कस्बे हंटरगंज के लोग आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं. इसका कारण यह है कि हमारे यहां हमेशा बिजली गुल रहती है. महीने-पखवाड़े में कभी-कभार आती भी है, तो घंटे […]
आज देश की शहरी आबादी भले ही 21वीं सदी के भारत में जी रही हो, लेकिन झारखंड के सीमावर्ती जिले चतरा के कस्बे हंटरगंज के लोग आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं. इसका कारण यह है कि हमारे यहां हमेशा बिजली गुल रहती है. महीने-पखवाड़े में कभी-कभार आती भी है, तो घंटे भर में ही फिर चली जाती है.
उसमें भी वोल्टेज इतना कम रहता है कि कोई काम कर पाना संभव नहीं है. झारखंड की राजधानी रांची समेत अन्य शहरों की बिजली घंटे भर कटती है, तो हाय-तौबा मच जाती है, लेकिन यहां बिजली आती ही नहीं है. इतना ही नहीं, जिला मुख्यालय चतरा के बिजली कार्यालय में इसकी शिकायत करने के लिए लोग जाते हैं, तो वहां कोई अधिकारी ही नहीं रहता. पहले हंटरगंज में ही एसडीओ रहते थे. 20-22 साल से कर्मचारी भी नदारद हैं.
ललन कुमार सिंह, हंटरगंज
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