रांची में बुधवार को एक बैंक अधिकारी की हत्या कर दी गयी. उनकी गलती बस इतनी थी कि जिस कार ने उनकी कार को ठोकर मारी थी, उस पर सवार युवकों से उन्होंने अपनी क्षतिग्रस्त गाड़ी बनवाने के लिए पैसे मांगे.
हर दिन ऐसे हादसे और उसके बाद विवाद होते हैं, बात थाने तक भी पहुंचती है, लेकिन इस सिलसिले में किसी की हत्या कर दी जाये, ऐसा बहुत कम होता है. यहां अपराधियों ने उस बैंक अधिकारी से कहा कि वे उनके साथ घर चलें, पैसा मिल जायेगा. बैंक अधिकारी इसमें छिपे खतरे को समझ नहीं सके और उनके साथ पैसे लेने चले गये. फिर वे जिंदा नहीं लौटे. उनकी लाश ही मिली. यह बतात है कि अपराधियों के मन से शासन का दबदबा खत्म हो गया है. पुलिस को बैंक अधिकारी के लापता होने की खबर दी गयी थी. तेजी से कार्रवाई होती तो शायद उन्हें बचा लिया जाता. लेकिन पुलिस इंतजार करती रही.
बार-बार यह घोषणा की गयी कि शहर में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे. शहर से बाहर जानेवाली मुख्य सड़कों पर भी कैमरे लगेंगे. अगर ये सब लग गये होते तो पुलिस को सुराग मिलता. अब पुलिस के पास सुराग के नाम पर सिर्फ एक प्रत्यक्षदर्शी का बयान है. गाड़ी के नंबर का कुछ हिस्सा ही उसे याद है. ऐसे में अपराधियों तक पहुंचना आसान नहीं है. सच यह है कि अपराधी अब कानून से डरते नहीं हैं.
कानून की खामियों का फायदा उठा कर वे बच जाते हैं. इससे उनका मनोबल बढ़ता है. मानवता व संवेदना खत्म हो रही है. जिस छोटी सी घटना में बैंक अफसर की हत्या कर दी गयी, उससे तो यही लगता है कि अपराधियों के लिए यह मामूली काम है. ऐसे अपराधी समाज के लिए घातक हैं. जिसने विरोध किया, मार दी गोली. अब तो आम आदमी के लिए सड़क पर गाड़ी चलाना मुश्किल हो जायेगा. कब कहां कोई टक्कर मार देगा और अगर विरोध किया तो जान जाने का जोखिम. अपराधी राज करेंगे और सीधा व्यक्ति खमियाजा भुगतेगा. पुलिस को सक्रिय होना होगा. अपराधियों को पकड़ कर, उन्हें कोर्ट से सजा दिला कर आम जनता में यह विश्वास दिलाना होगा कि कानून किसी को नहीं छोड़ता. कोई भी व्यक्ति अपराध कर बच नहीं सकता. अब यह पुलिस पर है कि वह कितना जल्द लोगों में विश्वास पैदा करने में सफल होती है.