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हम तो अपने ढंग से देशप्रेम जतायेंगे!

फेसबुक पर कुछ लोगों का काम दूसरों को ताने मारना ही रह गया है. एक सज्जन लिखते हैं, ‘15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन चेहरे पर तिरंगा का टैटू बना लेने से कोई देशभक्त नहीं हो जाता.’ दूसरे सज्जन लिखते हैं, ‘आजकल तो लोग 15 अगस्त और 26 जनवरी को छुट्टी रहने की वजह […]

फेसबुक पर कुछ लोगों का काम दूसरों को ताने मारना ही रह गया है. एक सज्जन लिखते हैं, ‘15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन चेहरे पर तिरंगा का टैटू बना लेने से कोई देशभक्त नहीं हो जाता.’ दूसरे सज्जन लिखते हैं, ‘आजकल तो लोग 15 अगस्त और 26 जनवरी को छुट्टी रहने की वजह से पिकनिक की तरह मनाते हैं.’

मुङो समझ नहीं आता कि आखिर ये ताने मारनेवाले लोग आम जनता से किस बात की उम्मीद करते हैं. आप लोग चाहते क्या हैं? हम फौज में भर्ती नहीं हो सके, तो क्या चेहरे पर टैटू भी न बनवायें? सुबह से लेकर रात तक ऑफिस में मर-मर कर काम करने के बाद जब कोई ऐसा दिन हमारी जिंदगी में आये, जब परिवार के हर सदस्य की छुट्टी हो, तो क्या हम कहीं साथ घूमने भी न जायें! मैं दूसरों की बात तो नहीं कर रही है, लेकिन अपने बारे में जरूर कहना चाहूंगी. ताने मारने वाले भाई साहब, मैं बहुत ही साधारण नागरिक हूं. मध्यवर्गीय परिवार से हूं.

मुङो भी अपने देश से प्रेम है और स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं भी अपना लगाव देश के प्रति जताना चाहती हूं. मैं ऊंचाई और शारीरिक रूप से उस मापदंड में खरा नहीं उतर पायी कि अपने देश की सेवा के लिए फौज या पुलिस में भर्ती हो जाऊं, इसका ये कतई मतलब नहीं है कि मुझमें देशप्रेम किसी भी तरह से कम है. मेरा देशप्रेम जताने का तरीका अलग है. इस दिन मैं हाथों में तीन रंगों वाला बैंड बांध कर घूमती हूं. पिकनिक पर भी जाती हूं. रास्ते भर पूरी शिद्दत से देशभक्ति के गीत गाते हुए जाती हूं. मेरी बस यही गलती है कि मैं किसी मंच पर भाषण नहीं दे पा रही हूं. आपने बड़े-बड़े मंचों पर देशप्रेम का भाषण देकर कौन-सा तीर मार लिया! मैं बस इतना जानती हूं कि मैं भले ही देशप्रेम इन दो खास दिनों में जताऊं, लेकिन देश के लिए अपना फर्ज रोज निभाती हूं.

एक आम इनसान होने के नाते जितना मुझसे हो सकता है, उन सभी जगहों पर, सभी कामों में अपना योगदान देती हूं. मैं झाड़ू ले कर भले ही शहर को साफ करने नहीं निकलती, लेकिन अपने घर का कचरा भी सड़कों पर नहीं फेंकती. मैं ट्रैफिक नियमों का पालन करती हूं, इनकम टैक्स देती हूं. बिजली बिल भी भरती हूं और पानी भी संभाल कर इस्तेमाल करती हूं. जब भी कोई जरूरतमंद दिखता है, मैं उसकी मदद करती हूं. मैं अपना काम ईमानदारी से करती हूं. न रिश्वत लेती हूं और न देती हूं. मैंने न किसी को चोट पहुंचायी और न किसी घायल को सड़क पर यूं ही छोड़ा है. एक आदमी से आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं? अगर मैंने 15 अगस्त के दिन अपने प्रोफाइल पिक में झंडा लगा लिया, तो आपको इतनी तकलीफ क्यों हो रही है? आप बेशक अपना मुस्कुराता चेहरा लगा सकते हैं. देशप्रेम जताने का यह मेरा तरीका है. आप चाहे, तो निश्चित रूप से कोई और रास्ता अपनायें, लेकिन कम-से-कम हम जैसे लोगों को ताना देना बंद करें.

दक्षा वैदकर

प्रभात खबर, पटना

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.co.in

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