32.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

‘टू प्लस टू’ वार्ता का हासिल

शशांक पूर्व विदेश सचिव delhi@prabhatkhabar.in भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ वार्ता संपन्न हो चुकी है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा अमेरिकी समकक्ष क्रमश: माइक पोम्पिओ और मार्क एस्पर के बीच हुई यह वार्ता सफल रही है. इस वार्ता में समझौते भी हुए हैं, जो दोनों […]

शशांक
पूर्व विदेश सचिव
delhi@prabhatkhabar.in
भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ वार्ता संपन्न हो चुकी है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा अमेरिकी समकक्ष क्रमश: माइक पोम्पिओ और मार्क एस्पर के बीच हुई यह वार्ता सफल रही है.
इस वार्ता में समझौते भी हुए हैं, जो दोनों देशों के सामरिक संबंधों की दृष्टि में बहुत महत्वपूर्ण हैं. दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए यह वार्ता अहम साबित होगी. एक तो यह कि तकनीक और रक्षा क्षेत्र में दोनों देश एक-दूसरे के सहयोग के साथ आगे बढ़ेंगे. दूसरा यह कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर हुई बातचीत अन्य करीबी देशों के साथ अपने संबंधों को संवारने में भी एक महत्वपूर्ण आयाम साबित होगी.
भारत और अमेरिका के बीच यह दूसरी ‘टू प्लस टू’ वार्ता है. इस संबंध में बड़ी बात यह है कि पहली वार्ता के विस्तार के साथ कुछ नये क्षेत्रों में समझौते भी हुए हैं. गौरतलब है कि ‘टू प्लस टू’ वार्ता प्रणाली दुनिया के बहुत कम देशों के साथ है. हालांकि, सामरिक दृष्टि से इस प्रणाली की महत्ता बहुत ज्यादा है.
इस वार्ता में कई बातों को लेकर सहमति बनी है, जो आगे चलकर जरूरत पड़ने पर बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी. यानी पाकिस्तान के खिलाफ या उसका साथ दे रहे चीन के खिलाफ अगर कोई एक्शन लेने की जरूरत पड़ी, तो उस समय भारत-अमेरिका का सामरिक सहयोग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और यह सहयोग निर्णय ले सकता है कि क्या किया जाना चाहिए.
इस वार्ता की सफलता इस बात में भी देखी जा सकती है कि पहली बार भारत के विचारों को उसके पड़ोसी देशों और विश्व की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है.
जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने यह कहा है कि भारत के साथ मिलकर आतंकवाद उन्मूलन को लेकर वह काम करने के लिए तैयार हैं. आज दुनियाभर में आतंकवाद एक बड़ी समस्या है और इसको लेकर बहुत काम करने की जरूरत है.
पाकिस्तान को लेकर भारत जो विचार रखता है, वार्ता के दौरान उसकी सराहना भी पोम्पियो ने की है. अंतरिक्ष में खोज, रक्षा तथा औद्योगिक समन्वय जैसे क्षेत्रों में हुए नये समझौतों को लेकर माइक पोम्पियो का सकारात्मक होना हमारे संबंधों का प्रगाढ़ होना है. अमेरिका भी चाहता है कि वह भारत के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर मिलकर काम करे. पोम्पियो ने किसी देश का नाम नहीं लिया कि आतंकवाद को प्रायोजित कौन कर रहा है. अमेरिका ने भारत को दोस्त माना है.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा तथा दुनियाभर में सुरक्षा के लिए भारत के विचारों का अमेरिका द्वारा सम्मान देना दोनों देशों के प्रगाढ़ रिश्ते को बतलाता है और साथ ही एक-दूसरे पर भरोसे को भी दर्शाता है. भारत के हितों को अगर अमेरिका आगे बढ़ाना चाहता है, तो यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे पड़ोसी देशों के लिए भी महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
क्योंकि, भारत जितना मजबूत होगा, दक्षिण एशिया में उसकी पकड़ भी मजबूत होगी और सभी देशों से व्यापारिक विस्तार भी होगा. सुरक्षा की दृष्टि से देखें, तो पड़ोसी देशों से खतरों के मद्देनजर भारत अपनी रक्षा-सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अमेरिका से जो भी सुरक्षा प्रणाली वह खरीदता है, अमेरिका उसमें किस तरह का सहयोग करेगा, यही इस वार्ता का महत्वपूर्ण बिंदु है.
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर एक ग्लोबल स्ट्रेटैजिक पार्टनरशिप के तहत काम कर रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ सालों में दोनों देशों ने सीओएमसीएएसए, एलइएमओए समेत कई समझौते किये हैं. जाहिर है, दोनों देश रक्षा मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं. हालांकि, रूस से या किसी अन्य देश से भारत अगर सामरिक हथियार खरीदता है, तो अमेरिका की उस पर क्या प्रतिक्रिया होगी, इस संबंध में अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है. लेकिन, इतना जरूर है कि जिस तरह से उसने ईरान से तेल खरीदने पर प्रतिबंध आयद किया है, बाकी चीजों पर भी ऐसा कर सकता है. भारत को इस संबंध में होशियार तो रहना ही होगा.
गौरतलब है कि ईरान की बजाय अमेरिका से तेल खरीदने में ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है, इसलिए बाकी चीजों को लेकर भी सावधान रहने की जरूरत है. मसलन, अमेरिका ने इस वार्ता में कहा है कि चीन की तकनीक 5जी से सामरिक सुरक्षा के खतरे हैं, इसलिए भारत इसको न ले.
अब सवाल यह है कि अगर भारत यह तकनीक चीन से न ले, तो अमेरिका इसके लिए क्या कोई विकल्प दे रहा है भारत को, या वह सिर्फ आदेश देने की ही रणनीति पर चल रहा है. हालांकि, अमेरिका ने यह बताया है कि भारत और अमेरिका के बीच साल 2018 में कुल 142 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ. यह उसके पिछले साल के मुकाबले 13 प्रतिशत ज्यादा है. जाहिर है, दोनों देश आगामी वर्षों में अपने कारोबार को और ज्यादा बढ़ाना चाहेंगे, शायद इसीलिए तेल, ऊर्जा, औद्योगिक तकनीक और सुरक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने को लेकर प्रयासरत हैं.
इस संबंध में भारत में स्टार्टअप को और बढ़ाने के लिए अमेरिका ने नयी तकनीक देने का वादा किया है. हालांकि, किन-किन क्षेत्रों में यह तकनीक हमें हासिल होगी, इस बारे में अभी कोई स्पष्ट नहीं है. हो सकता है कि आगामी समय में जब अगली वार्ताएं हों, तो उनमें इसको लेकर समझौते सामने आयें. अमेिरका ने भारत के स्टार्टअप की जिस तरह से तारीफ की है, उससे लगता है कि वह हमारे तकनीकी विस्तार को एक आयाम देना चाहता है. हमारे लिए यह जरूरी भी है, क्योंकि हम तकनीकी रूप से जितना ही उन्नत होंगे, उतना ही रोजगार बढ़ाने में भी सक्षम बनेंगे.
एशिया और अफ्रीका में जापान, भारत और कुछ अन्य देश मिलकर जो एक ग्रोथ कॉरिडोर बनाना चाहते हैं, उसमें भी अमेरिका का क्या कोई सहयोग होगा, इस बात को अभी देखा जाना है. लेकिन, इतना जरूर है कि द्विपक्षीय संबंधों में भारत और अमेरिका के रिश्ते हाल के वर्षों में बहुत प्रगाढ़ हुए हैं.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि भारत पूरी तरह से अमेिरका पर निर्भर है, क्योंकि अमेरिका को व्यापार के जरिये अपने हित भी साधने हैं. लेकिन यह बात तो तय है कि भारत और अमेरिका दुनिया में अपने मजबूत संबंधों के साथ आगे बढ़ रहे हैं. पोम्पियो द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री की तारीफ भी इस बात की तस्दीक करता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें