हाल ही में वर्षों से लटके राष्ट्रीय मेडिकल कमीशन बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लग गयी है और अब यह एक कानून का रूप ले चुका है. पूर्व में एमसीआइ मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी देती थी, जहां अत्यधिक भ्रष्टाचार और पारदर्शिता में कमी की समस्या थी. उम्मीद है कि इस नये कानून के लागू होने से डॉक्टरों की सेवा की गुणवत्ता में सुधार आयेगा. साथ ही प्राइवेट कॉलेजों की भी हालत सुधरेगी.
नेक्स्ट परीक्षा (नेशनल एग्जिट टेस्ट) के आयोजन में भी सुधरेगी आयेगा और गांवों में डॉक्टरों की कमी दूर होगी. इस कानून में कॉलेज फीस पर नियंत्रण और नीम-हकीमों पर अंकुश लगने जैसे प्रावधान भी हैं. हमें उम्मीद करनी चाहिए कि यह कानून मेडिकल शिक्षा की सभी बीमारियों के लिए रामबाण दवा साबित होगा.