अभी पांच दिन पहले ही अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में धार्मिक भेदभाव का चलन बढ़ने का आरोप लगाया. हमारे विदेश विभाग के प्रवक्ता ने तत्काल इन आरोपों को खारिज कर दिया.
मगर कल वहां के विदेश मंत्री भारत आकर, हमारे विदेश मंत्री के सामने भारत को धार्मिक अधिकारों का पालन करने को कह दिया. क्या सिर्फ नकार देने से यह आरोप गलत साबित हो जायेगा? भीड़ द्वारा तुरंत उसी स्थान पर मौत की सजा देने की प्रथा जोरों से चल पड़ी है. जब प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति थे तब उन्होंने दो बार सरकार को आगाह किया था.
उसके बाद प्रधानमंत्री ने पहले भी और कल भी, संसद में झारखंड में हुई तबरेज अंसारी की हत्या की निंदा की. सिर्फ झारखंड में ही पिछले तीन वर्षों में 11 लोगों की भीड़ द्वारा हत्या की गयी है. अगर सबसे बड़ा लोकतंत्र वाले देश का यह हाल रहेगा, तो अमेरिका क्या कोई भी भारत पर उंगली उठा सकता है. किस-किस के आरोपों को हम खारिज करते रहेंगे ?
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी,जमशेदपुर