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पार्टियों में बेचैनी !
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग और भाजपा की बड़ी जीत के बाद प्रायः सभी विपक्षी पार्टियों में अजीब-सी बेचैनी दिखाई देती हैं. कई राज्यों के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और राज्यों के मुद्दे केंद्र से काफी अलग भी होते हैं. इन दलों के लिए अब एक ही रास्ता प्रतीत होता है कि इन्हें […]
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग और भाजपा की बड़ी जीत के बाद प्रायः सभी विपक्षी पार्टियों में अजीब-सी बेचैनी दिखाई देती हैं. कई राज्यों के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और राज्यों के मुद्दे केंद्र से काफी अलग भी होते हैं.
इन दलों के लिए अब एक ही रास्ता प्रतीत होता है कि इन्हें अब अच्छे से मिल कर ही लड़ना चाहिए. इस चुनाव के दौरान इन पार्टियों ने आयु और पद की गरिमा को ताक पर रख कर एक दूसरे के ऊपर खूब कीचड़ उछाला, जो इन्हें ले डूबा. कहावत भी है- ए बैड वर्कमैन आॅलवेज ब्लेम्स हिज टूल्स.
इसलिए सिर्फ इवीएम की ही रट लगाये हैं. ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के नये मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से इन्हें कुछ सीख लेकर बड़ी शालीनता और सच्चे सेवा भाव से सुधार के साथ ही आगे बढ़ने की जरूरत है, तभी इन्हें कुछ सफलता मिल सकती है.
वेद मामूरपुर, नरेला
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