14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कटुता नहीं, मिठास घोलें फिल्में

फिल्में समाज का आईना हैं या समाज फिल्मों की प्रेरणा है, यह कहना मुश्किल है. दरअसल कभी समाज फिल्मों से सीखता है तो कभी फिल्में समाज से प्रभावित होती हैं. पिछले कुछ महीनों में आयी फिल्मों पर ध्यान देने पर पता चलता है कि इनका फिल्मांकन का तरीका ऐसा है जो सीधे दिलोदिमाग पर चोट […]

फिल्में समाज का आईना हैं या समाज फिल्मों की प्रेरणा है, यह कहना मुश्किल है. दरअसल कभी समाज फिल्मों से सीखता है तो कभी फिल्में समाज से प्रभावित होती हैं. पिछले कुछ महीनों में आयी फिल्मों पर ध्यान देने पर पता चलता है कि इनका फिल्मांकन का तरीका ऐसा है जो सीधे दिलोदिमाग पर चोट करता है. ये फिल्में आम आदमी की सोच को बदलने में पूरी तरह सक्षम हैं.

अत: इन्हें तैयार करते समय इन बातों का भी ध्यान रखने की जरूरत है. इस बात की सावधानी रखी जानी चाहिए कि कहीं ऐसी फिल्में समाज में विध्वंसक विचारधारा को हवा न दे दें. आज समाज में बढ़ती हिंसा और दुराचार फिल्मों से ही प्रभावित नजर आते हैं. जहां पहले फिल्मों में बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाई जाती थी, वहीं अब नकारात्मकता हावी है. फिल्में समाज में मिठास घोलें, कटुता नहीं.

पायल अरोड़ा, देवघर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें