पूर्व रक्षा मंत्री सह गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन से देश की अपूरणीय क्षति हुई है. उनकी सादगी और कार्यकुशलता देशवासियों के लिए सदा मिसाल बना रहेगा. आम जनता के साथ राजनेताओं को भी सीख लेने की जरूरत है कि आपकी पहचान गाड़ियों का काफिला ही नहीं होता. व्यक्तिगत जीवन में उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार को आत्मसात किया तो दूसरी ओर असाध्य बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद कार्यस्थल में देश व समाज सेवा कर कर्मठता का अभूतपूर्व परिचय दिया.
यही कारण है कि सत्ताधारी दलों के साथ विपक्षी पार्टियों के लोग भी उनके प्रशंसक थे. नेताओं की जीवन शैली लोगों को प्रेरित और प्रभावित करते रहे, एक जननेता के रूप में ऐसी लोकप्रियता सबको नसीब नहीं हो पाती है.
मिथिलेश कुमार, बलुआचक (भागलपुर)