Advertisement
चुनाव का बिगुल बजने से पहले दलों के सियासी दांव-पेच
चुनाव का बिगुल बजने से ऐन पहले दलों के सियासी दांव-पेच से जाहिर है कि हर किसी को बाजी अपनी तरफ मोड़ने की बेताबी है. देश का हर छोटा-बड़ा राज्य सीटों की लिहाज से खास है. मगर उत्तर प्रदेश खासियत के सभी पैमानों पर खरा उतरता है. कहते हैं दिल्ली की दावेदारी यहां की अस्सी […]
चुनाव का बिगुल बजने से ऐन पहले दलों के सियासी दांव-पेच से जाहिर है कि हर किसी को बाजी अपनी तरफ मोड़ने की बेताबी है. देश का हर छोटा-बड़ा राज्य सीटों की लिहाज से खास है. मगर उत्तर प्रदेश खासियत के सभी पैमानों पर खरा उतरता है.
कहते हैं दिल्ली की दावेदारी यहां की अस्सी लोकसभा सीटों से तय होती है. तैयारियों को देख दिखने लगा है कि जरूरी मुद्दों को दरकिनार कर पार्टियां एक-दूसरे पर हमला करते के मूड में है.
यूं तो कोई भी दल इस मर्ज से अछूता नहीं है, फिर भी नेहरू-गांधी परिवार से प्रियंका गांधी की राजनीतिक सक्रियता से ज़ुबानी जंग और भी धारदार हो चली है. गौरतलब है कि ‘मेनका और वरुण’ को इस विरासत का हिस्सा नहीं माना जाता है. बहरहाल बुनियादी मुद्दों को तलाशती देश की जनता सियासत में वंशवाद के मुद्दे पर पैनी नजर रख रही है.
एमके मिश्रा, रातू, रांची (झारखंड)
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement