गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी मतदाताओं से आगामी आम चुनाव में भाग लेने का निवेदन किया है.
हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकसभा चुनाव सबसे बड़ा उत्सव है. इसमें मतदान करना हर मतदाता का पवित्र दायित्व है. महामहिम ने उचित ही कहा है कि हर एक मत दूसरे मत को प्रोत्साहित करेगा और हमारे लोकतंत्र को शक्ति प्रदान करेगा.
गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले यानी 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर निर्वाचन आयोग ने नारा दिया है, ‘कोई मतदाता वंचित न रह जाए’. आयोग के नेतृत्व में पिछले सात दशकों में चुनाव प्रक्रिया निरंतर बेहतर होती जा रही है. मतदान का प्रतिशत बढ़ना और लैंगिक अंतर का कम होना इसके दो शानदार उदाहरण हैं. वर्ष 1962 के चुनाव में पुरुष एवं महिला मतदाताओं की संख्या में 16.7 प्रतिशत का अंतर था. यह अंतर 2014 में घट कर मात्र 1.5 प्रतिशत रह गया था.
इस संदर्भ में यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चुनाव प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न कराने का उत्तरदायित्व आयोग, सुरक्षाबलों, राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों पर ही नहीं है, इसमें मतदाताओं की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है.
नागरिक होने के नाते हमें निष्पक्षता, पारदर्शिता और अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने में योगदान करना चाहिए. इस वर्ष एक जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करनेवाला हर भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव में मतदान कर सकता है. जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं हैं, उन्हें तुरंत मतदाता पंजीकरण केंद्र से संपर्क करना चाहिए.
जो पहले से मतदाता हैं, वे भी अपना नाम जांच लें, ताकि मतदान के दिन किसी असुविधा का सामना न करना पड़े. हमें अपने परिवार, पड़ोस और परिचितों में मतदाता सूची और पंजीकरण के बारे में सूचनाओं का प्रसार करना चाहिए. औपचारिक रूप से भले ही आम चुनाव की घोषणा अभी नहीं हुई है, पर हम देख सकते हैं कि निर्वाचन आयोग के अलावा राजनीतिक दलों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है.
मतदाता के रूप में हमें भी अपने को तैयार रखना चाहिए. मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के साथ हमें राजनीतिक हलचलों पर भी नजर रखनी चाहिए. पांच वर्ष में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने क्या किया और क्या नहीं किया, इसके हिसाब का अवसर भी अभी है.
सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों की गतिविधियों का भी आकलन हमारे पास होना चाहिए. इसी तरह से पार्टियों और प्रत्याशियों के वादों और दावों का भी लेखा-जोखा होना चाहिए. सूचना क्रांति ने लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका को विस्तार दिया है. परंपरागत अखबारों, पत्रिकाओं और खबरिया चैनलों के साथ-साथ सोशल मीडिया और वेबसाइटों का दायरा बहुत बढ़ा है.
एक ओर इससे सूचना और जानकारी का प्रवाह व्यापक हुआ है, वहीं खबरों के फर्जीवाड़े और खरीद-बिक्री के मामले भी बढ़े हैं. ऐसे में हमें सजग रहना होगा, ताकि कोई गलत खबर या दुष्प्रचार मतदाता और मतदान प्रक्रिया को कुप्रभावित न कर सके. सचेत नागरिक के रूप में हमारी जागरूकता ही लोकतंत्र का आधार है.