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रेल ट्रैक हादसा
दशहरे पर रावण दहन के दौरान अमृतसर में हुए बहुत बड़े रेल हादसे ने सभी को हिलाकर रख दिया. यह दुर्भाग्य और घोर लापरवाही एवं बदइंतजामी से हुई एक बड़ी दुखद घटना है. यह सभी जानते हैं कि रेल लाइन के पास जाना खतरनाक है. फिर भी लोग न जाने क्यों ऐसी गलती कर बैठे. […]
दशहरे पर रावण दहन के दौरान अमृतसर में हुए बहुत बड़े रेल हादसे ने सभी को हिलाकर रख दिया. यह दुर्भाग्य और घोर लापरवाही एवं बदइंतजामी से हुई एक बड़ी दुखद घटना है. यह सभी जानते हैं कि रेल लाइन के पास जाना खतरनाक है. फिर भी लोग न जाने क्यों ऐसी गलती कर बैठे.
कार्यक्रम के आयोजकों को भी सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए थे. जनता उनके बुलावे पर ही वहां गयी थी. भले ही बुलावा व्यक्तिगत न होकर सार्वजनिक रहा हो. अगर उन्होंने इस ओर जरा भी ध्यान दिया होता, तो इस परिस्थिति से बचा जा सकता था, मगर ऐसा नहीं हुआ.
भले पुलिस और स्थानीय प्रशासन यह कह लें कि आयोजकों ने कार्यक्रम की अनुमति नहीं थी, मगर ऐसे मामले में उनकी भी जिम्मेवारी बनती है कि वे इसे देखें. अगर पहले भी उस स्थान में ऐसे कार्यक्रम होते रहे हैं, तो रेल प्रशासन को भी इसकी अनौपचारिक ही सही, सूचना तो होगी ही, मगर उसने भी कोई एहतियाती कदम नहीं उठाया.
अब भले सभी तकनीकी आधार तलाश कर खुद को बचाने की कोशिश कर लें, मगर इस हादसे के लिए जनता-आयोजक से लेकर ये सभी प्रशासनिक इकाइयां भी समान रूप से जिम्मेदार हैं. अगर इससे हम लोग कुछ सबक ले सकें, तो आने वाले वक्त में हम ऐसे हादसे रोक सकेंगे, वरना यह दुर्भाग्य हमारे साथ बना रहेगा.
वेद मामूरपुर ,नरेला
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