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झारखंड में लचर प्रशासनिक तंत्र

झारखंड गठन से अब तक कई मुख्यमंत्री बने, लेकिन यहां की प्रशासनिक व्यवस्था तत्कालीन बिहार से भी बदतर हो गयी. सुशासन, स्वराज और स्वाभिमान की लड़ाई लड़ कर झारखंड को अलग राज्य के रूप में आंदोलनकारियों ने हासिल किया, पर उनकी उम्मीदों पर प्रशासक और नेतृत्व वर्ग दोनों ही असफल रहे जो दुखद है. प्रशासनिक […]

झारखंड गठन से अब तक कई मुख्यमंत्री बने, लेकिन यहां की प्रशासनिक व्यवस्था तत्कालीन बिहार से भी बदतर हो गयी. सुशासन, स्वराज और स्वाभिमान की लड़ाई लड़ कर झारखंड को अलग राज्य के रूप में आंदोलनकारियों ने हासिल किया, पर उनकी उम्मीदों पर प्रशासक और नेतृत्व वर्ग दोनों ही असफल रहे जो दुखद है.

प्रशासनिक सुधार के प्रति कोई भी गंभीर नहीं दिखा, पर वर्तमान मुख्य सचिव सजल चक्र वर्ती ने एक नयी मुहिम छेड़ी है और वे सुधार के लिए प्रयासरत भी हैं. जरूरत है उन्हें सरकार और अधिकारियों का सहयोग मिले. यहां जो आलस्य और अकर्मण्यता का चलन है उसे दूर करना पड़ेगा, ताकि झारखंड पर उसके निवासियों को गर्व हो. राज्य में विकास मॉडल की बात पर गंठबंधन की मजबूरियां गिनायी जाने लगती हैं. अगर विकास पर गंठजोड़ न हो, तो ऐसा गंठबंधन किस काम का!

मनोज आजिज, जमशेदपुर

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