खबरों के अनुसार, आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में अब तक सैकड़ों केस दर्ज हो चुके हैं. इसे देख कर ऐसा माना जा सकता है कि जब सत्ता में आने से पहले कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ायी जा सकती हैं, तो सत्ता में आने के बाद क्या गारंटी है कि वे कानून-व्यवस्था को सही रूप दे पायेंगे? ऐसा लगता है कि हमारे नेताओं का मन बढ़ गया है.
इसी का परिणाम है कि जिसके मन में जो आये, बोल देना है. जो मन में आये, कर देना है. एक समय था कि किसी आदमी ने गलत काम किया या कोई किसी को गलत बात बोला, तो पूरे गांव के लोग उसका विरोध किया करते थे, लेकिन आज समय के साथ-साथ आदमी का मन भी बदल गया है. अभी के दौर में अगर कोई सच बोलता है तो सभी गांव वाले उसका विरोध करते हैं. मुङो लगता है कि अब समय आ गया है, इसका विकल्प ढूंढ़ना होगा.
महावीर साहू, ई-मेल से