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राष्ट्रपति चुनाव की सियासी सरगर्मी

आर राजगोपालन राजनीतिक विश्लेषक [email protected] पिछले तीस वर्षों के दौरान यह पहला मौका है, जब केंद्र में सत्तासीन दल देश के अगले राष्ट्रपति के लिए विपक्ष का मुंह ताके बगैर अपना प्रत्याशी उतारने और उसे इस सर्वोच्च पद पर बिठाने में समर्थ है. फिर भी, सत्ताधारी दल की जिम्मेवारियों के तहत भाजपा ने एनडीए के […]

आर राजगोपालन
राजनीतिक विश्लेषक
पिछले तीस वर्षों के दौरान यह पहला मौका है, जब केंद्र में सत्तासीन दल देश के अगले राष्ट्रपति के लिए विपक्ष का मुंह ताके बगैर अपना प्रत्याशी उतारने और उसे इस सर्वोच्च पद पर बिठाने में समर्थ है. फिर भी, सत्ताधारी दल की जिम्मेवारियों के तहत भाजपा ने एनडीए के अपने समर्थक दलों के साथ ही विपक्षी दलों से भी व्यापक विमर्श की योजना तैयार की है.
अमित शाह द्वारा अनुभव, राजनीतिक कुशलता तथा देश के बहुलवादी राजनीतिक वर्णक्रम के विभिन्न रंगों के साथ अपने व्यक्तिगत संपर्कों के आधार पर पार्टी के तीन वरिष्ठ मंत्रियों का इस हेतु चयन किया गया है कि वे एनडीए घटकों और विपक्षी पार्टियों से आवश्यक विचार कर इस पद के लिए उपयुक्त प्रत्याशी के नाम सुझायें. गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त तथा रक्षा मंत्री अरुण जेटली एवं सूचना और प्रसारण तथा शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू की इस तीन सदस्यीय समिति में से प्रत्येक को इस कार्य हेतु अलग-अलग जिम्मेवारी दी गयी है.
यह विडंबना ही है कि वेंकैया नायडू का नाम जहां इस पद के एक संभावित प्रत्याशी के रूप में लिया जा रहा था, वहीं इस समिति का सदस्य बना कर एक तरह से उन्हें इस दौड़ से बाहर बता दिया गया है. राजनाथ जहां जम्मू-कश्मीर के साथ ही नॉर्थ-इस्ट के दलों से बाते करेंगे, वहीं जेटली राज्यसभा में विपक्षी दलों से वार्ता करेंगे. नायडू के पास दक्षिण के दलों को साधने की जिम्मेवारी है.
स्वभावतः, भाजपा के प्रत्याशी को लेकर तरह-तरह की अटकलबाजियों का बाजार गर्म है, पर उसने अपने पत्ते अब तक नहीं खोले हैं. मीडिया के साथ अपने अनौपचारिक गपशप के दौरान अरुण जेटली तथा नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ मंत्री यह स्वीकार करते हैं कि मोदी एवं शाह की जोड़ी कुछ नामों पर सहमत हो चुकी है और शाह ने अपनी नागपुर यात्रा के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ इस पर चर्चा भी कर ली है.
भाजपा काफी पहले से ही अपनी सहयोगी एवं संभावित सहयोगी पार्टियों के साथ चर्चा कर राष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रत्याशी के लिए उनकी सैद्धांतिक सहमति हासिल कर चुकी है. इनमें दक्षिण भारत से वाइएस जगन मोहन रेड्डी तथा चंद्रबाबू नायडू के साथ ही पन्नीरसेल्वम तथा पलानीसामी नीत एआइएडीएमके के दोनों धड़े भी शामिल हैं. प्रत्याशी को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति के अत्यंत नाजुक मुद्दे का चाहे जो भी हश्र हो, देश के राष्ट्रपति पद की गरिमा एवं व्यापक स्वीकार्यता की अहमियत के मद्देनजर परंपरा के अनुसार भाजपा द्वारा भी प्रत्याशी चयन से लेकर नामांकन दाखिल करने और पूरे देश का दौरा कर समर्थन जुटाने तक की पूरी तैयारी की जा चुकी है. खबर है कि इसका विस्तृत रोडमैप तैयार कर उसकी क्रियान्वयन की जिम्मेवारियां भी बांटी जा चुकी हैं.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशन में इस सारे घटनाक्रम पर आवश्यक समन्वयन तथा नियंत्रण हेतु नयी दिल्ली के 9 अशोक रोड स्थित उनके कार्यालय में एक ‘वॉररूम’ कार्यरत है, जहां वर्तमान चरण से लेकर 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण तक की वैसी तमाम गतिविधियों का विस्तृत कैलेंडर तैयार है. यहीं पूरे देश के सभी सांसदों तथा विधायकों के संपर्क पते एवं फोन नंबर भी मौजूद हैं, पूर्व की परंपरा के अनुसार जिन्हें शाह द्वारा पत्र लिख कर अपने प्रत्याशी को मत देने का अनुरोध किया जाना है. मतदान की प्रक्रिया के सुचारु संचालनार्थ प्रत्येक मंत्री को 10 सांसदों का जिम्मा दिया जाना है. इसी तरह, राज्यों में भी मंत्रियों का उत्तरदायित्व तय कर संबद्ध मुख्यमंत्रियों एवं विधायक दलों के नेताओं को सूचित किया जा रहा है.
इस रोडमैप के अनुसार, विभिन्न जिम्मेवारियां अंजाम देने हेतु शाह ने पार्टी के सुयोग्य व्यक्तियों की टीम गठित की है, जिसमें उसके पांच अपेक्षाकृत युवा पदाधिकारी शामिल हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक दक्षता हासिल है. पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, राजीव प्रताप रूडी, निर्मला सीतारमण तथा भूपेंद्र यादव का पांच सदस्यीय यह ‘थिंक टैंक’ पूरी गति से काम कर रहा है, जो अगले माह तक की आवश्यक राजनीतिक गतिविधियों पर पार्टी अध्यक्ष को सलाह तो देगा ही, दैनंदिन आधार पर बैठक कर भाजपा के साथ ही एनडीए के घटक दलों के सांसदों के साथ भी समन्वयन की महती जिम्मेवारी निभायेगा.
इस थिंक टैंक का पहला काम राष्ट्रपति चुनावों के लिए भाजपा की ओर से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का चयन करना था, जिसे एनडीए साझीदारों के साथ विपक्षी पार्टियों से समन्वयन करने के साथ राष्ट्रपति पद हेतु एनडीए प्रत्याशी के संग सभी राज्यों की राजधानियों का दौरा कर उनके द्वारा विधायकों से संपर्क करने में मदद करनी है. खबर है कि इस अहम जिम्मेवारी के लिए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार को नियुक्त कर इसमें उनकी सहायता हेतु भाजपा संसदीय दल के मुख्य सचेतक राकेश सिंह को लगाया गया है. मुख्य निर्वाचक पदाधिकारी के इन दौरों के विस्तृत कार्यक्रम तय करने हेतु छह से आठ सांसदों की एक अलग टीम गठित की गयी है. इस कार्य में अनंत कुमार को जरूरी विधिक एवं राजनीतिक सलाह देने के लिए लोकसभा तथा राज्यसभा के अधिकारियों का एक दल भी नियत है.
आगामी 23 जून को एनडीए द्वारा अपने प्रत्याशी के संभावित औपचारिक ऐलान के साथ ही मुख्य निर्वाचक पदाधिकारी के रूप में अनंत कुमार का वह कठिन काम शुरू हो जायेगा, जब वे इस चयनित प्रत्याशी के साथ विधायकों से संपर्क साधने हेतु राज्यों की यात्रा पर निकलेंगे. उनके साथ भाजपा सांसदों का 10 से 15 सदस्यीय एक दल होगा, जो विधायकों के बीच एनडीए के इस प्रत्याशी का प्रचार कार्य करेगा. 2014 के संसदीय चुनावों के दौरान अमित शाह के साथ पार्टी के वॉररूम में कार्य कर चुके इस कार्य प्रणाली के एक विशेषज्ञ ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी पार्टी की तैयारी कुछ उसी ढंग से चल रही है. दिल्ली में व्याप्त गहमा-गहमी इसमें कोई शुबहा शेष नहीं छोड़ने जा रही कि अगले कुछ दिनों में देश की राजनीति एक अत्यंत दिलचस्प दौर से गुजरेगी.(अनुवाद: विजय नंदन)
Prabhat Khabar Digital Desk
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