6 आश्चर्यविश्व में लगातार प्रोपर्टी के दाम बढ़ रहे हैं. अब तो स्थिति यह हो गयी है कि आमलोगों के लिए घर खरीदना जागते हुए सपने देखने जैसा हो गया है. विश्व में बिना घर के रहने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी जगह है, जहां कोई भी घर खरीद सकता है. वह भी एक साथ ढेर सारे.
नेशनलकंटेंटसेल
ओ लोओलाई, इटली के सर्लिनिया द्वीप पर बारबागिया के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एक गांव. गांव में पत्थरों के बने हुए 200 घर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं और वह भी मात्र एक पेंस यानी 90 पैसे में! पड़ गये न आश्चर्य में. हो भी क्यों नहीं?
इतने कम दाम में तो कोई पूरा गांव ही खरीद ले. 90 पैसे की दर से 200 घरों का मूल्य होगा ही कितना, सिर्फ 180 रुपये. इस पर भी कोई वहां घर खरीदने को तैयार नहीं है. तो उस गांव में ऐसा क्या हो गया कि घरों के दाम कौड़ियों के भाव हो गये.
तीन दशक पहले यह एक भरा-पूरा गांव हुआ करता था. किसी तरह की कमी नहीं थी. लेकिन समय बीतने के साथ-साथ लोग अपनी आवश्यकताओं के कारण दूसरी जगहों पर जाने लगे. धीरे-धीरे गांव के सभी लोग वहां से निकल गये.
200 परिवार वाले इस गांव में अब ढूंढ़ने पर शायद ही कोई मिल पाता है. इससे यहां की सरकार को लगने लगा कि अगर ऐसी ही स्थिति रही, तो जल्द ही इस गांव को लोग भूतों के गांव के नाम से जानने लगेंगे.
स्थिति के बदतर होने से पहले सरकार ने गांव का कायाकल्प करने का निश्चय किया और गांव में खाली पड़े घरों को बाहरी लोगों को बेचने का निश्चय किया.
इसी बीच रिटायर्ड बिल्डर विटो कैसूला अपनी पत्नी के साथ वहां पहुंचे. कोई सुविधा नहीं मिलने पर उन्होंने सरकार से कोई व्यवस्था करने का आग्रह किया.
तब उनके लिए सिर्फ एक पेंस में घर उनके नाम कर दिया गया. उनलोगों ने उस घर की सूरत बदल डाली. इससे सरकार ने सोचा कि क्यों न बाहरी लोगों को यहां बसने का मौका दिया जाये, जिससे यह गांव फिर से खुश और आबाद हो सके.
इसी बीच लोगों से मांगे गये जवाब का कुछ भी असर न होता देख सरकार ने देश-विदेश के अखबारों में घरों की बिक्री के लिए विज्ञापन दे दिया. विज्ञापन भी ऐसा आकर्षक कि देखते ही कोई भी खरीद ले. विज्ञापन में दाम ही ऐसा रखा गया जो किसी के लिए भी मुश्किल नहीं था.
खरीदने वालों की मच गयी होड़
विज्ञापन देखते ही लोगों के बीच होड़ मच गयी. अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से हजारों लोगों ने घर खरीदने के लिए अपना आवेदन भेजा.
कितनों ने तो खबर छापने वाले अखबार के दफ्तरों में चक्कर भी काटना शुरू कर दिया. घरों से ज्यादा आवेदन आ जाने पर स्थानीय सरकार के भी हौसले बुलंद हैं.