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जमशेदपुर सीट : कैडर के लोगों से नहीं, बाहरी प्रत्याशी से खिला है कमल

संजीव भारद्वाज जमशेदपुर सीट पर पार्टी ने जब भी कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया, असफलता हाथ लगी जमशेदपुर : भाजपा ने जमशेदपुर लाेकसभा में 1984 से 2014 तक 11 बार चुनाव लड़ा. इसमें भाजपा प्रत्याशी काे पांच बार जीत आैर छह बार हार का सामना करना पड़ा. इस सीट पर पार्टी ने जब भी अपने कार्यकर्ता […]

संजीव भारद्वाज

जमशेदपुर सीट पर पार्टी ने जब भी कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया, असफलता हाथ लगी

जमशेदपुर : भाजपा ने जमशेदपुर लाेकसभा में 1984 से 2014 तक 11 बार चुनाव लड़ा. इसमें भाजपा प्रत्याशी काे पांच बार जीत आैर छह बार हार का सामना करना पड़ा. इस सीट पर पार्टी ने जब भी अपने कार्यकर्ता काे प्रत्याशी बनाया, ताे उसे हार का मुंह देखना पड़ा. लेकिन जब बाहरी पर विश्वास कर उसे प्रत्याशी बनाया, ताे जीत हासिल हुई है.

ऐसे ही उदाहरणाें में आभा महताे आैर विद्युतवरण महताे का नाम भी शुमार है. 2014 में चुनाव के पहले झामुमाे के विधायक (बहरागाेड़ा) विद्युतवरण महतो भाजपा में शामिल हुए थे. उन्हें पार्टी ने जमशेदपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था. वे 4,64,144 मत हासिल कर विजयी हुए. उन्हाेंने न केवल अपनी साख बचायी, बल्कि भाजपा की खाेयी हुई सीट फिर से वापस दिलायी.

जमशेदपुर लाेकसभा में 1952 से 2014 तक 18 लाेकसभा चुनाव (दाे उप चुनाव) हाे चुके हैं. 1984 में पहली बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा था. 1977 में भारतीय लाेकदल आैर 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर जमशेदपुर लाेकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके रुद्र प्रताप षाड़ंगी काे जब भाजपा ने 1984 में अपना प्रत्याशी बनाया, ताे वे कांग्रेस प्रत्याशी गाेपेश्वर लाल से 66202 मताें से पराजित हाे गये. गाेपेश्वर काे 196965 मत मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे भाकपा प्रत्याशी टीकाराम माझी काे 1,30,763 आैर आरपी षाड़ंगी काे तीसरे नंबर पर ही संताेष करना पड़ा था. 1989 में भाजपा ने फिर से आरपी षाड़ंगी काे प्रत्याशी बनाया.

इस बार उन्हें 118582 मत मिले. लेकिन इस बार भी वे तीसरे नंबर पर रहे. 1984 के बाद दूसरी बार झामुमाे के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़नेवाले शैलेंद्र महताे ने 1989 में जमशेदपुर सीट पर कब्जा जमा लिया. झामुमाे काे 140006 मत आैर कांग्रेस प्रत्याशी चंदन बागची काे 1,31,122 मत मिले. 1991 में भाजपा ने संगठनकर्ता एपी सिंह काे पार्टी का टिकट दिया. उन्हाेंने मुकाबला ताे किया, लेकिन जीत नहीं दिला पाये. झामुमाे के शैलेंद्र महताे (2,05,296) ने उन्हें 56,247 मताें से पराजित कर दिया. भाजपा नेतृत्व काे 1991 के बाद एक बात अच्छी तरह समझ आ गयी थी कि पार्टी प्रत्याशी चुनाव जीत सकता है, यदि उसका अपना भी वोट बैंक हो. इसी समीकरण के तहत पार्टी ने बाहरी-दूसरे दल के नेता पर दावं लगाया.

1996 में टीवी के चर्चित सीरियल महाभारत के कृष्णावतार नीतीश भारद्वाज काे जमशेदपुर सीट पर उम्मीदवार बनाकर भेजा. नीतीश भारद्वाज ने अपनी कला के अनुरूप लगातार तीन चुनाव से हार का मुंह देख रही भाजपा काे महत्वपूर्ण जीत दिलायी. 1996 में पहली बार भाजपा ने जमशेदपुर का चुनाव जीता. नीतीश भारद्वाज ने संयुक्त गठबंधन के प्रत्याशी जनता दल के नेता इंदर सिंह नामधारी (166565) काे 55137 मताें से पराजित किया. चुनाव जीतने के बाद नीतीश भारद्वाज ने कुछ दिनाें तक शहर में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी, लेकिन जब वे यहां से गये, ताे फिर लाैट कर नहीं आये.

भाजपा ने 1998 में फिर उसी फार्मूला पर काम किया. झामुमाे के सांसद रहे झारखंड आंदाेलनकारी शैलेंद्र महताे की पत्नी आभा महताे काे प्रत्याशी बना कर मैदान में उतारा. फार्मूला पर सटीक बैठते हुए आभा महताे ने 97433 मताें से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. पहली बार चुनाव लड़ रही आभा महताे ने हैवीवेट प्रत्याशी टाटा कंपनी के पूर्व निदेशक रुसी माेदी काे पराजित किया. 1999 में हुए चुनाव में फिर आभा महताे जीती.

2004 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी आभा महताे काे यूपीए प्रत्याशी सुनील महताे के हाथाें पराजित हाेना पड़ा. सांसद सुनील महताे की हत्या के बाद 2007 में हुए उप चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर डॉ दिनेश षाड़ंगी काे चुनाव मैदान में उतारा. सहानुभूति लहर में वे शहीद सुनील महताे की पत्नी सुमन महताे से 58816 मताें से पराजित हुए.

2009 में भाजपा ने अपने इस सीट काे वापस पाने के लिए हैवीवेट कैंडिडेट के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा काे चुनाव मैदान में उतारा. जमशेदपुर लाेकसभा की जनरल सीट पर भाजपा ने पहली बार आदिवासी नेता काे चुनाव मैदान में उतार कर शहर से गांव तक एक संदेश देने का काम किया. भाजपा अपनी याेजना में कामयाब रही. झामुमाे प्रत्याशी सुमन महताे काे 1,19,763 मताें से पराजित किया. अर्जुन मुंडा के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद जमशेदपुर सीट पर फिर से लाेकसभा का उप चुनाव 2011 में हुआ. इस चुनाव में भाजपा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे डॉ दिनेशानंद गाेस्वामी काे पार्टी का प्रत्याशी बनाया.

डॉ गाेस्वामी काे न केवल हार का सामना करना पड़ा, बल्कि उनकी जमानत भी जब्त हाे गयी. जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ अजय कुमार ने पहली बार झाविमाे के टिकट पर चुनाव लड़ा आैर उन्हें पराजित किया. 2014 में भाजपा ने एक फिर बाहरी प्रत्याशी पर ही भराेसा करना उचित समझा. विद्युत वरण महताे ने इस याेजना काे मूर्त रूप देकर मजबूत प्रत्याशी डॉ अजय कुमार काे पराजित कर फिर से भाजपा की झाेली में सीट डालने का काम किया. 2019 में भाजपा ने एक बार फिर माैजूदा सांसद विद्युत वरण महताे काे ही प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है.

भाजपा जमशेदपुर लाेस में भाजपा का प्रदर्शन

वर्ष प्रत्याशी वाेट मिले परिणाम

1984 आरपी षाड़ंगी 44991 हार

1989 आरपी षाड़ंगी 1,18582 हार

1991 एपी सिंह 149049 हार

1996 नीतीश भारद्वाज 221702 जीत

1998 आभा महता 296686 जीत

1999 आभा महताे 285323 जीत

2004 आभा महताे 290423 हार

2009 अर्जुन मुंडा 319620 जीत

2011 डॉ दिनेशानंद गाेस्वामी 120855 हार

2014 विद्युतवरण महताे 464144 जीत

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