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गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं निकिता व जाह्नवी

सिलीगुड़ी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में इन दिनों बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान चला रहे हैं. केंद्र सरकार बेटियों की मदद के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है. उसके बाद भी ऐसी बेटियों की संख्या कम नहीं है,जिनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. सिलीगुड़ी की दो बेटियां […]

सिलीगुड़ी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में इन दिनों बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान चला रहे हैं. केंद्र सरकार बेटियों की मदद के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है. उसके बाद भी ऐसी बेटियों की संख्या कम नहीं है,जिनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.
सिलीगुड़ी की दो बेटियां भी इसी सूची में शामिल है. सिलीगुड़ी नगर निगम के अधीन वार्ड नंबर 40 की रहने वाली निकिता तथा इस्टर्न बाइपास के निकट एक्तियासाल की रहने वाली जाह्नवी गंभीर बीमारी से पीड़ित है. दोनों के मां-बाप की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे इनकी इलाज करा सकें. दोनों के परिवार वालों का कहना है कि जब बेटी बचेगी तभी तो आगे पढ़ेगी. वहलोग किसी भी तरीके से अपनी बेटी को बचाना चाहते हैं.
सिलीगुड़ी नगर निगम के 40 नंबर वार्ड के हैदरपाड़ा मेघलाल राय रोड निवासी भवेश पाल ने अपनी पुत्री के इलाज के लिये लोगों से मदद की गुहार लगाई है. फूल सी दिखने वाली इस बच्ची का नाम निकिता पाल है. वह मात्र ढ़ाई वर्ष की है, लेकिन जन्म के बाद से ही बच्ची के दोनों आंखों के बीच नाक की हड्डी पर एक ट‍्यूमर है, जो बढ़ता जा रहा है. इस कारण बच्ची की तकलीफ दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है. उसके पिता मजदूरी का काम करते हैं.
उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह अपनी बच्ची का इलाज करवा सके. भवेश पाल ने बताया कि जन्म के बाद से ही बेटी को यह समस्या थी. उन्होंने शुरूआती चरण में अपनी बच्ची का इलाज उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल से करवाया. मेडिकल कॉलेज की ओर उन्हें बेहतर इलाज के लिये वेल्लुर जाने की सलाह दी गई है.
मजदूर होने के बाद भी एक-एक पैसे जोड़कर कर उन्होंने वेल्लुर जाकर अपनी बेटी का इलाज भी करवाया, वहां के डॉक्टरों ने ऑपरेशन करवाने की सलाह दी . उन्होंने बताया कि डॉक्टरों के अनुसार अगर ऑपरेशन नहीं हुआ तो समय के साथ-साथ ट्यूमर भी बड़ा हो सकता है और उनकी बेटी का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा. उसकी आंखों की रोशनी भी जा सकती है.
उनका कहना है कि डॉक्टरों के कहे अनुसार उनके बेटी के ऑपरेशन का खर्च तीन लाख पचास हजार रुपये के आसपास आयेगा. ऑपरेशन के बाद उनकी बेटी पूरी तरह से ठीक भी हो जायेगी, लेकिन उनके पास उतना पैसा नहीं है कि वह अपनी बेटी का इलाज करवा सके. एक पिता होने के नाते वह अपनी बेटी को इस कदर परेशान नहीं देख सकते. भवेश पाल ने नम आंखों से अपनी बेटी के इलाज के लिये लोगों से मदद की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि अगर समाज के लोग मदद के लिये आगे आयें तो वह अपनी बेटी को बचा सकते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि अपनी बेटी की चिकित्सा के लिए वह नेता और अधिकारियों की दर-दर की ठोकरें खा चुके हैं,लेकिन कहीं से भी उनको मदद नहीं मिली.दूसरी ओर सिलीगुड़ी इस्टर्न बाईपास संलग्न दक्षिण एक्तियाशाल निवासी दुर्वा विश्वकर्मा पेशे से गाड़ी चालक हैं.
उनकी एक फूल सी दिखने वाली बेटी का नाम जाह्नवी विश्वकर्मा है. लेकिन जाह्नवी जन्म से ही एक अजीब सी बीमारी का शिकार है. जाह्नवी के पिता दुर्वा ने बताया कि उसके बेटी का जन्म सिलीगुड़ी के हाकिमपाड़ा स्थित एक नार्सिंग होम में हुआ था. जन्म के बाद डॉक्टर भी जाह्नवी को देख हैरान हो गये, क्योंकि मां के गर्भ में जाह्नवी की खोपड़ी का सही तरीके से विकास न होने के कारण उसका मस्तिष्क सामने की तरफ आ गया है.
जन्म के बाद उन्होंने अपनी पुत्री का इलाज सिलीगुड़ी के कई नामी डॉक्टरों से करवाया मगर कुछ फायदा नहीं हुआ. इसके बाद वे अपनी बेटी का इलाज करवाने के लिये दिल्ली के एम्स पहुंचे. लेकिन उस वक्त जाह्नवी काफी छोटी थी. इस कारण डॉक्टरों ने उसके ऑपरेशन का समय बढ़ा एक वर्ष कर दिया. उस समय बच्ची छोटी होने के कारण ऑपरेशन में काफी खतरा था. वर्तमान में जाह्नवी 2 वर्ष की हो चुकी है. मगर उनके पास उतना पैसा नहीं है जिससे कि वे अपनी बेटी का इलाज करवा सके.
वह एक गाड़ी के चालक हैं.
किसी तरह से वे अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं. परिवार वालों का कहना है कि अगर जल्द से जल्द उसका इलाज नहीं करवाया गया तो जाह्नवी की समस्या भी बढ़ जायेगी. जिससे कि उनकी बेटी की जान भी जा सकती है. परिवार वालों का कहना है कि अगर सरकार या समाज सेवियों से मदद मिले तो उनकी बच्ची की जान बच सकती है.

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