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आखिर कब सबक सीखेगा पाकिस्तान!

पेशावर में मानवता को शर्मसार करनेवाली आतंकी घटना के तुरंत बाद पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुल्क से आतंकवाद के सफाये का एलान किया. उनका एलान इस हकीकत से उपजा है कि पाकिस्तानी राज्यसत्ता और अवाम पर हमले करनेवाले तत्व तालिबानी गिरोहों के रूप में पाकिस्तान में ही मौजूद हैं. लेकिन, इसके बाद भारत में […]

पेशावर में मानवता को शर्मसार करनेवाली आतंकी घटना के तुरंत बाद पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुल्क से आतंकवाद के सफाये का एलान किया. उनका एलान इस हकीकत से उपजा है कि पाकिस्तानी राज्यसत्ता और अवाम पर हमले करनेवाले तत्व तालिबानी गिरोहों के रूप में पाकिस्तान में ही मौजूद हैं.

लेकिन, इसके बाद भारत में आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद का भी बयान आया. सरकारी शह पर पाक में छुट्टा घूमनेवाले और नवाज शरीफ के करीबी माने जा रहे कट्टरपंथी संगठन जमातुद्दावा के सरगना सईद ने जहर उगलना शुरू किया कि पेशावर की घटना भारत की करतूत है और इसका बदला लिया जायेगा. शरीफ के बयान में एक संभावना थी कि पाकिस्तान पेशावर नरसंहार से सबक लेते हुए अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को नये सिरे से तय करेगा और अपनी कमियों-कमजोरियों के लिए भारत को दोषी ठहराने के रवैये से उबरेगा. लेकिन, सईद ने भारत-विरोध का पुराना राग अलाप कर अपने ही प्रधानमंत्री के ऐलान को शक के घेरे में ला दिया है. उधर, सेना प्रमुख राहील शरीफ को लगता है कि आतंकियों को निर्देश अफगानिस्तान से मिल रहे थे.

वे अफगानिस्तान पहुंचे और वहां की सरकार को तहरीक-ए-तालिबान के मुखिया को सौंपने का फरमान सुनाया. जब मौजूदा जनरल यह फरमान सुना रहे थे, तो एक पूर्व जनरल व तानाशाह परवेज मुशर्रफ उन्हें दुरुस्त करते हुए फरमा रहे थे कि तालिबानी ताकतों को हिंदुस्तान अपनी इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ के जरिये ट्रेनिंग देकर हमले के लिए उकसा रहा है. मुशर्रफ के इस बयान के साथ साफ हो गया कि पाकिस्तानी सत्ता-तंत्र के दो मजबूत पाये, आर्मी (राहील शरीफ) और कट्टरपंथी (हाफिज सईद), वहां की लोकतांत्रिक सरकार के कहे पर यकीन नहीं करते. असल में पाकिस्तान की त्रसदी भी यही है. वह निरंतर असफल होता राष्ट्र इसलिए भी है, क्योंकि वहां से उठनेवाली आवाजों में कौन सी आवाज पाकिस्तान की प्रतिनिधि आवाज है, इस फैसले तक पहुंचना मुश्किल है. नफरत की बुनियाद पर बननेवाले राष्ट्रों की विडंबना यही है. वे अपनी कमियों-कमजोरियों का स्नेत सदा किसी दूसरे को बताते हैं और आखिरकार वे अपनी कमियों के ही हाथों विनाश को प्राप्त होते हैं.

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