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कौन होगा बिहार का अगला DGP, अंदरखाने चल रही इन IPS अफसरों के नामों पर चर्चा, जानें

पटना : बिहार केवर्तमानपुलिस महानिदेशक पी.के.ठाकुर इसी माह28फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. सरकार के चहेते मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह कोतीन महीने का सेवा विस्तार मिल चुका है.बिहारसरकार अब सूबे केनयेपुलिस महानिदेशक की तलाश में जोर-शोर से जुट गयी है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो नये पुलिस महानिदेशक की रेस में शामिल दावेदारों की […]

पटना : बिहार केवर्तमानपुलिस महानिदेशक पी.के.ठाकुर इसी माह28फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. सरकार के चहेते मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह कोतीन महीने का सेवा विस्तार मिल चुका है.बिहारसरकार अब सूबे केनयेपुलिस महानिदेशक की तलाश में जोर-शोर से जुट गयी है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो नये पुलिस महानिदेशक की रेस में शामिल दावेदारों की सांसें अटकी हुई हैं. सरकार किसे पूरे बिहार के पुलिस कप्तान का ताज सौंपेगी इसके बारे में कोई संकेत नहीं दिया है.पुलिसमुख्यालय से जुड़ेसूत्रोंकी मानें,तो वरिष्ठ आइपीएसअधिकारियोंके कुनबेमें काफी बेचैनीहै. आइपीएस अधिकारीमेंनये डीजीपी के नाम को लेकर भ्रमकेसाथ संशयभी बना हुआ है. आइपीएस लॉबी में अटकलों का बाजार गर्म है. कभी किसी वरिष्ठ अधिकारी का नाम, तो कभी किसी और का नाम संभावित उम्मीदवार के रूप में लिया जा रहा है.

प्रभात खबर को विश्वसनीय सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कुछ नाम ऐसे हैं, जो सरकार के चहेते के रूप में सामने आ रहे हैं और ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि इन्हें कमान सौंपी जा सकती है. बिहार में अभी पी.के.ठाकुर के बाद सिर्फचारआइपीएस ही डीजी रैंक के अधिकारी है, जिनमें1985 बैच के दो और1987 बैच के दो अधिकारी है.1985 बैच केकेएसद्विवेदी औररविंद्र कुमार हैं, जबकि1987 बैच के सुनील कुमार और गुप्तेश्वर पांडेय हैं. चारों में सबसे वरीय हैंकेएस द्विवेदी और सबसे कनीय हैं, गुप्तेश्वर पांडेय. इसलिएपुलिसमहानिदेशक पद के लिए पहला दावाकेएसद्विवेदी का बनता है.द्विवेदी बहुत पहले मधेपुरा,मुजफ्फरपुर और भागलपुर मेंएसपी रह चुके हैं. हालांकि,इसकेबाद वह कभी मुख्यधाराकी पुलिसिंग में नहीं रहे. दूसरी तरफ यह बात सामने आ रही है कि द्विवेदी की सेवा अवधिएक साल से भी कम बची हुई है. सरकार के लिए यह एक बड़ी समस्या है, सरकार नहीं चाहती कि फिर एक साल बाद इस पद के लिए किसी और की तलाश शुरू हो. हालांकि, सरकार इन पर भी अपना दाव खेल सकती है. उम्मीद यह भी है कि सरकार इनकी अनुभव वाली छवि को देखते हुए, इन पर दांव लगा दे.

दूसरा नाम है रविंद्र कुमार का, जो अविभाजित बिहार में जमशेदपुर, चाईबाषा में पुलिस अधीक्षक रहे और पटना में एसएसपी के साथ डीआइजी भी. इन्हें सभी महत्वपूर्ण पदों पर काम करने का अनुभव है, लेकिन यह भी इसी वर्ष अक्तूबर महीने में रिटायर हो रहे हैं. इसलिए सरकार इन पर अपना विश्वास जताएगी, इसकी संभावना कम दिख रही है. तीसरे नंबर, पर जो नाम है वह सुनील कुमार का है. सुनील कुमार धनबाद, गया सहित कई महत्वपूर्ण जिले में एसपी रहे हैं, उसके बाद पटना में एसएसपी, डीआइजी और जोनल आइजी के रूप में लंबे समय तक मुख्यधारा की पुलिसिंग में रहे हैं. मुख्यालय में भी एडीजी मुख्यालाय और एडीजी विशेष शाखा में योगदान देते रहे हैं. सुनील कुमार को भी पुलिस महानिदेशक पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा है. इनकी सेवा 2020 के मध्य में समाप्त हो रही है. सरकार की दृष्टकोण से देखें, तो यह विधानसभा चुनाव तक बने नहीं रहेंगे. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो सुनील कुमार डीजीपी की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं.

इन सबके बीच एक नाम ऐसा भी है,जिस पर सरकार अपना विश्वास व्यक्त कर सकती है. वह नाम है बिहार के जाने-मानें और सरकार के लिए कई बार संकट मोचक साबित हो चुके वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी और डीजी गुप्तेश्वर पांडेय का. अपनी पूरी सेवा अवधि में अधिकांश समय यह पुलिस मुख्यालय से बाहर फिल्ड में ही पोस्टेड रहे. जानकारी के मुताबिक चतरा, बेगूसराय, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, हजारीबाग और नालंदा जैसे जिलों में इनकी पुलिस कप्तानी को लोग आज भी याद करते हैं. उसके बाद यह मुंगेर, बेतिया, मुजफ्फरपुर में डीआइजी रहे और वहां जमकर सोशल इंजीनियरिंग के साथ स्मार्ट पुलिसिंग को अंजाम दिया.

गुप्तेश्वरपांडेय विशेष शाखा मेंआइजी रहे. उसके साथ ही मुजफ्फरपुर और दरभंगा जोन का आइजी होने के साथ एडीजी मुख्यालय, एडीजी वितंतु और एडीजी बीएमपी भी रहे. गुप्तेश्वर पांडेय को आम जनमानस के अलावा सरकार की नजर में अपराध नियंत्रक और कड़क प्रशासक के साथ संवेदनशील पुलिसकर्मी के रूप में भी जाना जाता है. खासकर विधि व्यवस्था संभालने के मामले में इनकी कोई सानी नहीं है. मोतिहारी के तुरकौलिया ,सुगौली, रामगढ़वा से लेकर सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, छपरा, सीवान, कटिहार और वैशाली, यानी जब- जब भीषण सांप्रदायिक तनाव का माहौल उत्पन्न हुआ और स्थिति बेकाबू हुई.तब- तब सरकार ने वहां की स्थिति संभालने के लिए इन्हीं को भेजा. गुप्तेश्वर पांडेय के घटनास्थल पर पहुंचते ही स्थिति काबू में हुई और सरकार ने राहत की सांस ली.

हाल के दिनों में बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति में काफी गिरावट आयी है और अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. हालांकि, सरकार इस मामले को लेकर काफी चिंतित है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं हर महीने अपराध पर नियंत्रण के लिए पुलिस पदाधिकारियों के साथ लगातार समीक्षा बैठक करते रहे हैं, लेकिन फिलहाल कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है और जिलों में क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. आने वाले दिनों में क्राइम का ग्राफ कम करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. साथ ही आने वाले दिनों में दो- दो चुनाव हैं, जिसमें सरकार को कानून-व्यवस्था की स्थिति को बेहतर रखना होगा. इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए यह साल लग रहा है कि सरकार प्रदेश के पुलिस कप्तान का ताज गुप्तेश्वर पांडेय को भी सौंप सकती है. हालांकि, दिल्ली की प्रतिनियुक्ति छोड़कर किसी पदाधिकारी के आने की संभावना कम दिखती है, लेकिन सूबे के मुखिया के मन में क्या चल रहा है, इसका फैसला 28 फरवरी से पहले जरूर हो जायेगा.

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