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ओड़िशा से भी ज्यादा गरीब परिवार बिहार में, जानें क्या कहते हैं आंकड़े

मिथिलेश झा रांची : ओड़िशा से ज्यादा गरीब लोग बिहार में रहते हैं. संख्या के मामले में नहीं, आबादी के प्रतिशत के हिसाब से. बिहार में 33.7 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं. बिहार से अलग होकर अस्तित्व में आये झारखंड में 37 फीसदी लोग गरीब हैं, जबकि पड़ोसी राज्य […]

मिथिलेश झा

रांची : ओड़िशा से ज्यादा गरीब लोग बिहार में रहते हैं. संख्या के मामले में नहीं, आबादी के प्रतिशत के हिसाब से. बिहार में 33.7 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं. बिहार से अलग होकर अस्तित्व में आये झारखंड में 37 फीसदी लोग गरीब हैं, जबकि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में 20 फीसदी. बंगाल में राष्ट्रीय औसत 21.9 फीसदी से कम गरीब हैं. गरीबी रेखा की सीमा तय करने के लिए डॉ सुरेश डी तेंडुलकर की अध्यक्षता में बने एक्सपर्ट ग्रुप की अनुशंसा को आधार मानकर कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें यह खुलासा हुआ है.

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कृषि मंत्रालय और आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय की रिपोर्ट ‘एग्रिकल्चरल स्टैटिस्टिक्स एट ए ग्लांस 2017’ (Agricultural Statistics at a Glance 2017) के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2004-05 में बिहार में 54.4 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे थे. इसमें 55.7 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में और 43.7 फीसदी शहरी क्षेत्र में. वर्ष 2009-10 में बीपीएल परिवारों की संख्या मामूली रूप से घटकर 53.5 फीसदी रह गयी. इनमें 55.7 फीसदी ग्रामीण और 43.7 फीसदी शहरी आबादी थी.

वर्ष 2004-05 और 2009-10 के दौरान बिहार के गांवों में रहने वाले गरीबों की आबादी 0.9 फीसदी घटी जबकि शहरों में गरीबों की संख्या 4.3 फीसदी घटी. वर्ष 2009-10 में शहरों में 55.3 फीसदी बीपीएल परिवार रह गये, जबकि गांवों मेें 39.4 फीसदी गरीब रह गये. वर्ष 2009-10 में बिहार में शहरी और ग्रामीण आबादी को मिलाकर कुल 53.5 फीसदी बीपीएल परिवार रह गये.

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वर्ष 2009-10 और 2011-12 के बीच बीपीएल परिवारों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी. इस दौरान यानी मात्र तीन साल में बिहार ने 19.8 फीसदी आबादी को गरीबी रेखा से बाहर निकालने में सफलता हासिल कर ली. इसके बाद इस प्रदेश में 34.1 फीसदी ग्रामीण और 31.2 फीसदी शहरी आबादी गरीब रह गयी. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि बिहार से ज्यादा गरीब सिर्फ दो राज्यों में हैं. अरुणाचल प्रदेश में 34.7 फीसदी, तो झारखंड में 37 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं.

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