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बिहार ने कई मामलों में देश में स्थापित की नजीर, जानें

काम की न सिर्फ सराहना हुई, बल्कि अनुपालन अन्य राज्यों में भी हुआ पटना : नवंबर, 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार ने अब तक कई ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लिये, जो देश के लिए नजीर पेश की है. बिहार सरकार के काम की न केवलसराहना हुई, बल्कि उन कामों का अनुपालन देश […]

काम की न सिर्फ सराहना हुई, बल्कि अनुपालन अन्य राज्यों में भी हुआ
पटना : नवंबर, 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार ने अब तक कई ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लिये, जो देश के लिए नजीर पेश की है. बिहार सरकार के काम की न केवलसराहना हुई, बल्कि उन कामों का अनुपालन देश के अन्य राज्यों ने किया. वह न्याय के साथ विकास, पूर्ण शराबबंदी, दहेज और बाल विवाह के खिलाफ सख्ती, पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण, सरकारी नौकरियों में भी महिला को 35 फीसदी आरक्षण, अपराधियों पर त्वरित गति से कार्रवाई के लिए स्पीडी ट्रायल शुरू करना, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करनेवाले पर शिकंजा कसने के लिए विशेष निगरानी यूनिट बना कर बिहार के विकास का काम तेजी से हो रहा है. इसके अलावा बालिका शिक्षा के लिए पोशाक व साइकिल योजना से बालिकाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है. अब पहले की तुलना में काफी अधिक संख्या में छात्राएं स्कूल जाने लगी हैं.
महापुरुषों को किया याद
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पूरा होने के उपलक्ष्य में पूरे बिहार में बापू के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कई कार्यक्रम चलाये गये. बापू के आदर्शों के सामाजिक अनुकरण की दिशा में यह एक प्रभावशाली कदम है.
सिखों के 10वें गुरु श्रीगुरु गोबिंद सिंह महाराज के 350वें वर्ष पर आयोजित प्रकाश पर्व समारोह व समापन पर आयोजित शुकराना समारोह की देश-विदेश में प्रशंसा हुई. यह बिहार की सामाजिक समरसता व सर्व धर्म समागम के स्वर्णिम इतिहास को आगे बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है.
ये बने नजीर
बिहार में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा एक ऐतिहासिक फैसला था. इसके तहत देसी और विदेशी शराबों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस कदम की देश में सराहना हो रही है और दूसरे राज्यों में भी लागू करने की मांग की जा रही है. शराब से महिलाओं को ज्यादा परेशानी और परिवार प्रभावित होता था.
शराबबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दहेज और बाल विवाह के खिलाफ अभियान की शुरुआत की. सीएम ने हरेक मंच से लोगों से दहेज और बाल विवाह जैसे अभियान में शामिल होने की अपील की. बाल विवाह और दहेज प्रथा पर शिकंजा के लिये सरकार गंभीर है. इसी क्रम में टास्क फोर्स का गठन किया गया है.
लोक सेवा अधिकार
कानून लाकर समय सीमा के अंदर
लोगों के काम का निष्पादन व शिकायतों के निबटारा के लिए बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लाया गया.
फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना हुई, जिसमें सांसदों, विधायकों सहित हजारों अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों व प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कठोर कदम उठाये. इससे पूरे देश का ध्यान बिहार की ओर आकृष्ट हुआ. इसमें कई अधिकारियों की संपत्ति जब्त की गयी और कई को जेल जाना पड़ा.
बिहार पहला ऐसा राज्य बना, जिसने लोकसेवा के अधिकार कानून को पूरी तरह से लागू किया. बात यहीं नहीं रुकी बल्कि शासन में पारदर्शिता के लिए नीतीश कुमार ने सभी मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों की
संपत्ति को सार्वजनिक रूप से घोषित कराने का काम किया. राज्य में नौकरशाहों के घर में प्राथमिक विद्यालय तक खोल दिये गये.
महिलाओं के सशक्तीकरण की योजनाएं बनायीं गयीं. पहली बार पंचायती राज व नगर निकाय की संस्थाओं में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था हर स्तर पर की गयी. बालिका शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए साइकिल, पोशाक और छात्रवृत्ति की योजना आरंभ की गयी.राज्य सरकार की सभी सरकारीनौकरियों में महिलाओं को 35फीसदी आरक्षण कीव्यवस्था की गयी.
कानून का राज किया स्थापित
नीतीश ने बनाया राज्य के विकास का अपना मॉडल
पटना : मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने
राज्य के विकास का अपना मॉडल तैयार किया. इस मॉडल को देश के अन्य राज्यों ने बाद में अपनाया. नीतीश कुमार के ये ऐसे कदम थे, जिसके कारण बिहार की चर्चा होने लगी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास के कई सूत्र तैयार किये, जिसमें न्याय के साथ विकास. सुशासन के तहत कानून का राज स्थापित करना. भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करना. राज्य में सामाजिक सौहार्द का वातावरण बनाये रखना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह मानना है कि बिहार का विकास कोई बिहारी व्यक्ति ही कर सकता है.
इसी को आधार बना कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शासन के सूत्र तैयार किये. इसका असर राज्य की आर्थिक व सामाजिक विकास के रूप में दिख रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार के शब्दों में बिहार में न्याय के साथ विकास उनकी प्राथमिकता है, जिसमें हर स्तर पर विकास करना और बिना भेदभाव के हर व्यक्ति के लिए विकास का लाभ पहुंचाना है. सरकारी योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति को बिना भेदभाव के मिले.
उठाया सही कदम
नीतीश कुमार के विकास मॉडल की चर्चा करते हुए प्रसिद्ध अर्थशास्त्री व नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो अमर्त्य सेन ने कहा था कि विकास के साथ सामाजिक तरक्की पर जोर देना जरूरी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में कई चुनौतियों के बाद भी सही कदम उठाया है.
2013 में टाइम पत्रिका ने नीतीश मॉडल की चर्चा करते हुए लिखा कि भारत के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल रहा बिहार अब हिंदुस्तान में सुधारों का मॉडल बन गया है. एक समय में बिहार में लोगों को सरकार से मदद मिलने की कोई आशा नहीं रह गयी थी. दशकों तक यह राज्य गरीबी, हिंसा और भ्रष्टाचार के लिए कहावत बन गया था. यह स्थिति 2005 में नीतीश कुमार के सीएम बनने तक रही. नीतीश कुमार के सुशासन का फॉर्मूला ईमानदारी और प्रभावकारी कदमों पर आधारित है.
सात निश्चय की सराहना
बिहार सरकार द्वारा सामाजिक क्षेत्र में व्यापक बदलाव की दिशा में सात निश्चय की शुरुआत की गयी है.इसके माध्यम से सरकार ने युवाओं के कौशल विकास, महिला सशक्तीकरण, हर घर बिजली, नल का जल व शौचालय का निर्माण, गांव में पक्की नली-गली का निर्माण व टोलों में संपर्ककर्ता प्रदान कर राज्य की आधारभूत संरचना व मानव संसाधन के विकास की दिशा में एक बड़े स्तर की पहल हुई है.
आर्थिक व सामाजिक उत्थान में युवाओं का योगदान, उच्च शिक्षा के विकास व कुशल कामगारों के आपूर्ति पक्ष को मजबूत करने से प्रत्येक जिले में जीएनएम संस्थान, पैरा मेडिकल संस्थान, पॉलिटेक्निक, महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान व इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की जा रही है.
युवाओं को उच्च शिक्षा का लाभ देने के लिए बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना चलायी जा रही है. हर घर बिजली योजना में हो रहे काम को अन्य राज्यों ने अमल किया. वहां के प्रतिनिधियों ने बिहार आकर किये जा रहे काम को देखा, जिसकी प्रशंसा हुई.
पीएम के बयान का विरोधाभास है नीति आयोग के सीईओ का कथन : केसी त्यागी
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने नीति आयोग के सीईओ के बयान पर कहा कि उनका बयान प्रधानमंत्री के बयान का विरोधाभास है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने मोतिहारी में बिहार सरकार और नीतीश कुमार की तारीफ की थी. कहा था कि बिहार तेजी से आगे बढ़ रहा है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने बिहार दौरे के क्रम में बिहार के प्रगति की चर्चा की. उन्होंने कहा कि तटवर्ती राज्यों का विकास तीन सौ साल पहले शुरू हो गया था.
बिहारी और बिहारियों के बिना देश का विकास नहीं : शाहनवाज
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि बिहार और बिहारियों के बिना विकास संभव नहीं है. नीति आयोग के सीईओ का बयान उनकी निजी राय होगी सरकार की यह राय नहीं है.
आजादी के बाद बिहार- यूपी को जो संसाधन उपलब्ध होने चाहिए वह नहीं मिल पाये. नदियों की तबाही से काफी नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि हरित क्रांति हो या या देश की तरक्की सब में बिहारियों का खून-पसीना और मेहनत है.
नीति आयोग के सीईओ की टिप्पणी गैर जवाबदेह : शिवानंद
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने नीति आयोग के सीईओ की टिप्पणी को गैर जवाबदेह बताया है. उन्होंने कहा कि बिहार, यूपी, एमपी आदि राज्य क्यों पिछड़े हुए हैं, नीति आयोग के सीईओ ने इसका कारण नहीं बताया. उन्हें यह बताना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार शुरू से ही उपनिवेश रहा. बिहार की सीडी रेसियो काफी कम है. जितना पैसा जमा होता है उतना बिहार में कहां खर्च होता है. जबकि विकसित राज्य की सीडी रेसियो क्या है.
सीईओ का बयान पिछड़ेपन के अतीत पर था, वर्तमान सरकार पर नहीं : मोदी
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि सबको मालूम है कि राजद के 15 साल के शासन में केवल जात-पात की राजनीति हुई. विकास ठप रहा. बिहार की सड़कों के गड्ढे राष्ट्रीय उपहास का विषय बने हुए थे. लालू.राबड़ी राज के अंतिम बजट में सामाजिक एवं भौतिक संरचनाओं पर खर्च के लिए मात्र 1205 करोड़ रुपये का प्रावधान था. जबकि हमारी सरकार ने 2018- 19 के बजट में इसी मद में 32 हजार 581 करोड़ रुपये दिये हैं.
नीति आयोग के सीईओ ने बिहार में 15 साल के जंगलराज के संदर्भ में दिया बयान : अश्विनी चौबे
नीति आयोग के सीईओ द्वारा भारत के पिछड़ापन के लिए बिहार सहित पूर्वोत्तर राज्यों को कारण बताये जाने के दिये गये बयान के बाबत बुधवार को भभुआ पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरे समझ से उन्होंने यह बयान आज के संदर्भ में नहीं दिया है. बल्कि, उनका यह बयान बिहार में 15 सालों के जंगलराज के संदर्भ में दिया गया है.

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