यांगून : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधियों को राजधानी नाएप्यीदाव में संबोधित करते हुए म्यामां के सेना प्रमुख ने इस बात से इनकार किया कि उनके बलों ने रोहिंग्या मुसलमानों पर कार्रवाई के दौरान बलात्कार या यौन उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम दिया था.
सीनियर जनरल मिन आंग हलैंग उस सेना के प्रमुख हैं जिस पर संयुक्त राष्ट्र ने बलात्कार और असैन्यों की हत्याएं करने समेत ‘‘ नस्ली सफाए ” का आरोप लगाया है. अगस्त 2017 में शुरू हुए रोहिंग्या विरोधी अभियान में उनके गांव जला दिए गए और अत्याचार किये गये. इसके चलते करीब 7,00,000 रोहिंग्या अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी. संकट के कई महीने बाद भी संरा प्रतिनिधियों को म्यामां में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गयी थी. ऐसे में सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधियों का यह पहला दौरा है जिसमें वह मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सम्मानजनक और सुरक्षित वापसी के लिए दबाव बनाएंगे.
कल प्रतिनिधिमंडल ने सेना प्रमुख से मुलाकात की. देश के सभी सुरक्षा मामलों का नियंत्रण उनके हाथों में है , निर्वाचित सरकार का इसमें ज्यादा दखल नहीं है. सोमवार को अपने आधिकारिक फेसबुक पेज के माध्यम से उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से कहा , ‘‘ तात्मादाव ( सेना ) हमेशा अनुशासित रहती है और कानून तोड़ने वाले हर व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करती है.” बांग्लादेश में शरणार्थी रोहिंग्या महिलाओं और लड़कियों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं लेकिन सेना प्रमुख ने कहा कि उनके बलों का ‘‘ यौन उत्पीड़न का कोई इतिहास नहीं है.”
उन्होंने कहा , ‘‘ हमारे देश की संस्कृति और धर्म के मुताबिक यह स्वीकार्य नहीं है ,” जो भी ऐसे अपराधों का दोषी पाया जाएगा उसे सजा मिलेगी. उन्होंने दोहराया कि म्यामां उन शरणार्थियों को वापस लेने के लिए तैयार है जिनका निवासी के रूप में सत्यापन हो चुका है. लेकिन समझौता होने के कई महीने बाद भी किसी शरणार्थी की वापसी नहीं हो पायी है. इससे बांग्लादेशी अधिकारी गुस्से में हैं , उनका आरोप है कि म्यामां अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ सहयोग करने का दिखावा कर रहा है. मिन आंग हलैंग ने सीमा पार से आए अवैध आव्रजकों को ‘ बंगाली ‘ कहकर संबोधित किया और हिंसा के लिए ‘ आतंकियों ‘ को दोषी ठहराया.
संरा प्रतिनिधिमंडल हेलिकॉप्टर से उत्तरी रखाइन राज्य का दौरा करेगा और दोपहर में राजधानी में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेगा.

