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ट्रिपल तलाक : रविशंकर प्रसाद ने कहा, दहेज के खिलाफ जब कानून आया, तब पति के जेल जाने की चिंता क्यों नहीं हुई?

नयी दिल्ली : ट्रिपल तलाक बिल पर बहस के बाद सरकार की ओर से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अभी सदन मेंजवाब दे रहे हैं. अपने जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि हम ‘ट्रिपल तलाक’ का विरोध करते हैं […]

नयी दिल्ली : ट्रिपल तलाक बिल पर बहस के बाद सरकार की ओर से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अभी सदन मेंजवाब दे रहे हैं. अपने जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि हम ‘ट्रिपल तलाक’ का विरोध करते हैं लेकिन इसमें क्रिमिनल ऑफेंस गलत है इसलिए हमारी पार्टी बिल का विरोध करती है मैं इसपर उनसे पूछना चाहता हूं कि जब आपने दहेज प्रथा, बहुविवाह आदि के खिलाफ कानून लाया और उसमें क्रिमिनल ऑफेंस डाला उस वक्त आपने यह क्यों नहीं कहा था कि पति जेल चला गया तो पत्नी की देखभाल कौन करेगा? आप दहेज और बहु विवाह के खिलाफ कानून लाये बहुत अच्छा किया, लेकिन शाहबानो प्रकरण में जो किया, उसे क्या कहेंगे. ट्रिपल तलाक बिल हम इसलिए लेकर आये हैं ताकि महिलाओं को उनका हक मिले और उन्हें प्रताड़ित ना किया जा सके. समय के साथ समाज में बदलाव होता है और कानून भी उसी अनुसार बदलते रहे हैं और ऐसा सिर्फ हमारी सरकार नहीं कर रही, बल्कि कांग्रेस की सरकार भी कर चुकी है.

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने ट्रिपल तलाक पर जारी बहस के दौरान कहा कि यह बिल राजनीति से प्रेरित है. इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों को आपस में लड़ाना है. पति-पत्नी एक दूसरे के खिलाफ वकीलों के जरिये कोर्ट में केस लड़ेंगे. पति इस कानून के जरिये जेल भेज जायेंगे और जब जेल की सजा समाप्त होगी वे दिवालिया हो चुके होंगे. ऐसी स्थिति में जब वे जेल से बाहर आयेंगे वे या तो सुसाइड करेंगे या फिर डकैत बनेंगे या चोर, यही इस बिल की मंशा है.

कानून मंत्री रविशंकर ने आज राज्यसभा में‘ट्रिपल तलाक बिल’ पेश कर दिया. उन्होंने इस बिल को नारी गरिमा से जोड़ते हुए कहा कि हम अपनी बेटियों को फुटपाथ पर नहीं छोड़ सकते, इसलिए उन्हें सम्मान पूर्ण जीवन दिलाने के लिए यह बिल पास होना बहुत जरूरी है. कानून मंत्री रविशंकर ने कहा कि मुस्लिम देशों ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध है, लेकिन हमारे देश में यह कुप्रथा जारी है, जबकि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं.

कानून मंत्री ने कहा कि बिल में जो प्रावधान किये जाने की वकालत की गयी थी, उसे हमने शामिल कर दिया है. पहले यह कहा गया था कि पड़ोसियों को शिकायत का हक ना मिले क्योंकि वे इसका दुरुपयोग कर सकते हैं, इसलिए यह प्रावधान किया गया कि सिर्फ पीड़िता और उसके खून के रिश्तेदारों को ही शिकायत का हक मिले. बिल में समझौते का प्रावधान भी किया गया है. साथ ही बिल में मजिस्ट्रेट द्वारा बेल का प्रावधान भी कर दिया गया है, अत: राजनीति से ऊपर उठकर सभी पार्टियों के सांसद इस बिल के पक्ष में वोट करें.

बिल पेश होने के बाद राज्यसभा में बहस शुरू हो गयी है. कांग्रेस की ओर से अमी याज्ञनिक ने बहस की शुरुआत की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ‘ट्रिपल तलाक’ को गैरकानूनी बता दिया है, फिर कानून की क्या जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि जब घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून देश में है कि फिर ‘ट्रिपल तलाक’ को आपराधिक बनाने की जरूरत क्या है. ट्रिपल तलाक पर चर्चा में भाग लेते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने इसे अपराध की श्रेणी में डालने के प्रावधान पर आपत्ति जतायी और कहा कि इससे पूरा परिवार प्रभावित होगा. हालांकि सत्ता पक्ष ने इस विधेयक को राजनीति के चश्मे से नहीं देखे जाने की नसीहत देते हुए कहा कि कई इस्लामी देशों ने पहले ही इस प्रथा पर रोक लगा दी है.

विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य अमी याज्ञनिक ने कहा कि महिलाओं को धर्म के आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि सभी महिलाओं के प्रति क्यों नहीं चिंता की जा रही है? उन्होंने कहा कि समाज के सिर्फ एक ही तबके की महिलाओं को समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ एक कौम में ही नहीं है. उन्होंने कहा कि वह विधेयक का समर्थन करती हैं लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में डालना उचित नहीं है. याज्ञनिक ने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय ने पहले ही इसे अवैध ठहरा दिया तो फिर विधेयक लाने की क्या जरूरत थी. उन्होंने कहा कि विधेयक में इसे अपराध की श्रेणी में डाल दिया गया है. इससे महिलाओं को अपराधियों के साथ मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होना होगा. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सुनवाई पारिवारिक (फैमिली) अदालत में होनी चाहिए न कि मजिस्ट्रेट अदालत में. उन्होंने कहा कि विधेयक में प्रावधान किया गया है कि पति और पत्नी के अलावा तीसरा व्यक्ति भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है. उन्होंने इस प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी तीसरे व्यक्ति को पारिवारिक या निजी मामले में हस्तक्षेप की अनुमति कैसे दी जा सकती है?

उन्होंने कहा कि कानून का मकसद न्याय और अंतत: गरिमा है लेकिन इसके प्रावधानों के तहत महिला को मजिस्ट्रेट अदालत में अपराधियों के साथ बैठने को बाध्य होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि महिलाओं को कानूनी सहायता का भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को तीन तलाक की समस्या से मुक्ति दिलाइए लेकिन ऐसा उनकी गरिमा के साथ होना चाहिए. चर्चा में भाग लेते हुए जद यू के बशिष्ठ नारायण सिंह ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वह न तो विधेयक के समर्थन में बोलेंगे और न ही इसमें साथ देंगे. उन्होंने कहा कि हर पार्टी की अपनी विचारधारा होती है और उसे पूरी आजादी है कि वह उस पर आगे बढ़े. जद (यू) के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया. इससे पूर्व माकपा सदस्य के के रागेश ने 21 फरवरी 2019 को जारी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश के खिलाफ अपना प्रस्ताव पेश किया.

राज्यसभा का गणित

राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए कुल 121 सांसदों की मंजूरी चाहिए. अभी कुल सदस्यों की संख्या 244 है. एनडीए के सदस्यों की संख्या 116 है, जबकि विपक्ष के पास 125 का आंकड़ा है. भाजपा के कुल सदस्यों की संख्या 78 है, ऐसे में उसे अपने साथियों के साथ-साथ अन्य दलों के पांच सांसदों की जरूरत होगी, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जदयू के छह सांसद उसके साथ नहीं है. जदयू ने लोकसभा में भी ‘ट्रिपल तलाक’ का विरोध किया था. ऐसे में अगर सरकार ‘ट्रिपल तलाक’ बिल को पास कराना चाहती है, तो उसे 11दूसरे दलों के सांसदों को अपने पक्ष में करना होगा.

सरकार को इन पार्टियों से है उम्मीद

राज्यसभा से ट्रिपल तलाक बिल को पास कराने के लिए सरकर बसपा, बीजू जनता दल और टीडीपी की ओर उम्मीद भरी नजर से देख रही है, हालांकि इन पार्टियों ने लोकसभा में ‘ट्रिपल तलाक’ बिल का विरोध किया है, लेकिन राज्यसभा में अगर यह पार्टियों सदन से वाकआउट भी कर जाती हैं, तो सरकार का काम बन जायेगा. सूत्रों के हवाले से जैसी जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार सरकार के पक्ष में कुछ पार्टियां यही रुख अपनाने वाली है. ऐसी खबरें भी आ रहीं हैं कि जदयू के सांसद भी सदन में अनुपस्थित रहेंगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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