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इस तरह 1984 के सिख विरोधी दंगों में Sajjan Kumar को हुई सजा

नयी दिल्ली : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के तुरंत बाद देश भर में हुए सिख विरोधी दंगों में पहला फैसला आ गया है. कांग्रेस के बड़े नेता रहे सज्जन कुमार को करीब 34 साल बाद दिल्ली हाइकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनायी. हाइकोर्ट की डबल बेंच ने 30 अप्रैल, 2013 के ट्रायल कोर्ट […]

नयी दिल्ली : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के तुरंत बाद देश भर में हुए सिख विरोधी दंगों में पहला फैसला आ गया है. कांग्रेस के बड़े नेता रहे सज्जन कुमार को करीब 34 साल बाद दिल्ली हाइकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनायी. हाइकोर्ट की डबल बेंच ने 30 अप्रैल, 2013 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को दंगे के लिए दोषी माना. सज्जन कुमार को आपराधिक षड्यंत्र रचने, हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया है.

देश के सबसे बड़े दंगों में दोषी पाये गये सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा. इस दंगे में 3,000 से ज्यादा लोगों की जान गयी थी. यह मामला दिल्ली के राजनगर में 5 सिखों की हत्या से जुड़ा है. इसमें नवंबर, 1984 को दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक ही परिवार के पांच सदस्यों (केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह) को मार डाला गया था. इस मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार आरोपी थे. दो जजों जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने 29 अक्टूबर, 2018 को सीबीआइ, पीड़ितों और दोषियों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

30 अप्रैल, 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार को छोड़कर बाकी आरोपियों को दोषी करार दिया था. निचली अदालत ने जिन लोगों को दोषी करार दिया था, उनमें कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य लोग शामिल थे. सभी को दंगा भड़काने का दोषी करार दिया गया था.

निचली अदालत ने दंगा भड़काने के दोषी पूर्व पार्षद बलवान खोखर, भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा सुनायी थी. वहीं, पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को तीन-तीन साल की सजा सुनायी. दोषियों ने निचली अदालत के इस फैसले को दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती दी.

दूसरी तरफ, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) और सिख विरोधी दंगा के पीड़ितों ने सज्जन कुमार को बरी किये जाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील दायर की. दोनों याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि दंगा भड़काने के पीछे सज्जन कुमार और निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिये गये सभी लोगों के हाथ थे.

सज्जन को गवाह ने पहचान लिया था

पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान दंगों की गवाह चरम कौर ने सज्जन कुमार को पहचान लिया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सज्जन ने ही कहा था, ‘हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल सिखों ने किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना है.’ बाद में भीड़ ने सज्जन के उकसावे में आकर मेरे पिता और बेटे का कत्ल कर दिया.

सीबीआइ जांच की नानावटी आयोग ने की थी सिफारिश

केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या के बाद उनके परिजनों ने शिकायत दर्ज करायी. उनकी शिकायत और जस्टिस जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर सीबीआइ ने वर्ष 2005 में केस दर्ज किया. सज्जन कुमार, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवंत खोखर को आरोपी बनाया गया. 13 जनवरी, 2010 को इनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया.

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