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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आडवाणी-उमा समेत 13 नेताओं पर चल सकता है मुकदमा!

नयी दिल्ली : बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और फायर ब्रांड नेता उमा भारती समेत 13 नेताओं पर फिर से आपराधिक साजिश का मुकदमा चल सकता है. इस बात के संकेत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महज तकनीकी आधार पर इन्हें राहत नहीं दी जा सकती. इस मामले […]

नयी दिल्ली : बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और फायर ब्रांड नेता उमा भारती समेत 13 नेताओं पर फिर से आपराधिक साजिश का मुकदमा चल सकता है. इस बात के संकेत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महज तकनीकी आधार पर इन्हें राहत नहीं दी जा सकती. इस मामले में मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के नेता शामिल हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि इस मामले में सभी 13 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की पूरक चार्जशीट दाखिल करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी विध्वंस मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह ही क्यों न हो?

कोर्ट ने पूछा कि रायबरेली में चल रहे बाबरी मस्जिद से जुड़े दूसरे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ स्थानांतरित कर दिया जाये, जहां इससे जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है. कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों मामलों को एक साथ सुना जाना चाहिए. वहीं, लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया और कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा, जो काफी मुश्किल है. कोर्ट को साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए. इस मामले में सीबीआई ने अदालत से कहा कि वह दोनों मामलों में एक साथ ट्रायल के लिए तैयार है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अंतिम सुनवाई 22 मार्च को रखी है.

गौरतलब है कि बाबरी विध्वंस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और भाजपा, विश्व हिंदू परिषद के अन्य नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. खंडपीठ की अगुआई कर रहे न्यायमूर्ति वी हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के संबंध में कल्याण सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत 13 से साजिश रचने के आरोप हटाये जाने के खिलाफ अपीलें दायर की थी. इन अपीलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई, 2010 के आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया है.

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) हटा दिया था. पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया किसी से भी प्रभावित नहीं होती और वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाने की कार्रवाई उसके (एजेंसी के) कहने पर नहीं हुई. सीबीआई ने एक हलफनामे में कहा था कि सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र है. सभी फैसले मौजूदा कानून के आलोक में सही तथ्यों के आधार पर किए जाते हैं. किसी शख्स, निकाय या संस्था से सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया के प्रभावित होने या अदालतों में मामला लड़ने के उसके तरीके के प्रभावित होने का कोई सवाल नहीं है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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