नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई के तीन वरिष्ठ पदाधिकारियों को आज चेतानवी देते हुये कहा कि उन्होंने यदि हमारे फैसले के अनुरुप इस संपन्न क्रिकेट संस्था के संविधान के मसौदे के बारे में सुझाव नहीं दिये तो इसके गंभीर नतीजे होंगे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि संविधान के मसौदे में लोढ़ा समिति के सुझाव पूरी तरह से शामिल होने चाहिए ताकि अंतिम निर्णय के लिये शीर्ष अदालत के समक्ष एक समग्र दस्तावेज पेश किया जा सके.
इस मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने बीसीसीआई के तीन पदाधिकारियों सी के खन्ना, अमिताभ चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी के हठी रवैये पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि ये संविधान का मसौदा तैयार करने में रोड़ा बन रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने जब ये टिप्पणियां कीं तो उस वक्त तीनों पदाधिकारी उसके 23 अगस्त के आदेश का अनुपालन करते हुये न्यायालय में उपस्थित थे. न्यायालय ने तीनों पदाधिकारियों को उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया था.
शीर्ष अदालत ने सुनवाई की पिछली तारीख पर लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बारे में उसके निर्देशों और आदेशों पर अभी तक अमल नहीं किये जाने पर अप्रसन्नता व्यक्त की थी. पीठ ने प्रशासकों की समिति को भी लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर उसके पहले के निर्णय और आदेशों के अनुरुप बीसीसीआई के संविधान का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया था.
क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार ने इससे पहले शीर्ष अदालत के निर्देशों का अनादर करते हुये अयोग्य क्रिकेट प्रशासकों को बोर्ड की बैठकों में कथित रुप से आमंत्रित करने के लिये न्यायलाय में चौधरी को निशाना बनाया था. न्यायालय ने हालांकि कहा था कि वह पहले प्रशासकों की समिति की चौथी स्थिति रिपोर्ट का अवलोकन करेगी और इसके बाद क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार की अवमानना याचिका पर गौर करेगी.
न्यायमूर्ति लोढ़ा की अध्यक्षता वाली समिति ने बीसीसीआई में व्यापक सुधार के लिये एक राज्य एक वोट सहित अनेक सुझाव दिये थे जिन्हें शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया था.
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