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ब्रिक्स समिट : आतंकवाद पर मोदी की कूटनीति में फंसा चीन, घिरा पाक, पढ़ें कैसे

श्यामन : भारत ने चीन की धरती पर खड़े होकर चीन को झुकने के लिए मजबूर किया और आतंकवाद पर उसके अजीज दोस्त पाकिस्तान को घेरा. सोमवार से शुरू हुए ब्रिक्स समिट के घोषणापत्र में चीन के एतराज के बावजूद भारत की मांग पर आतंकवाद का मुद्दा शामिल किया गया. इसमें पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी […]

श्यामन : भारत ने चीन की धरती पर खड़े होकर चीन को झुकने के लिए मजबूर किया और आतंकवाद पर उसके अजीज दोस्त पाकिस्तान को घेरा. सोमवार से शुरू हुए ब्रिक्स समिट के घोषणापत्र में चीन के एतराज के बावजूद भारत की मांग पर आतंकवाद का मुद्दा शामिल किया गया. इसमें पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों- लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद का नाम लेकर उनकी निंदा की गयी. पहली बार ब्रिक्स देशों ने अपने घोषणापत्र में इन आतंकी संगठनों के नाम लिये.

भारत के लिए बड़ी राजनयिक जीत के घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर व दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा ने इन संगठनों की आतंकी गतिविधियों की कड़ी निंदा की. साथ ही इस समस्या से मिल कर लड़ने की प्रतिबद्धता जतायी. प्रधानमंत्री मोदी ने आतंक का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया. चीनी राष्ट्रपति समेत वहां मौजूद तमाम नेताओं ने उनका समर्थन किया. आतंक के खिलाफ लड़ने की इच्छा प्रकट की.

चीनी एक्सपर्ट का दावाः BRICS घोषणापत्र से चीन-पाक संबंधों में आ सकती है दरार

गोवा में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीन ने पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों के नाम घोषणापत्र में शामिल नहीं होने दिया था, जबकि यह सम्मेलन उड़ी हमले के कुछ सप्ताह के भीतर हुआ था. अब यह देखना होगा कि जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित कराने के प्रयास को लेकर चीन क्या रुख अपनाता है. फिलहाल चीन ने अजहर को आतंकी घोषित कराने संबंधी अमेरिकी प्रस्ताव पर रोक लगा रखी है.

इस बीच ब्रिक्स ने कोरियाई प्रायद्वीप में चल रहे तनाव और लंबे समय से चले आ रहे परमाणु हथियारों के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की. उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण की भी कड़ी निंदा की. ब्रिक्स खुफिया बैंक की स्थापना करने के ब्राजील के प्रस्ताव भी इस घोषणापत्र में संज्ञान लिया गया है.

बड़ा सवाल : क्या होगा अजहर मसूद पर चीन का रुख
ब्रिक्स घोषणा पत्र में भले ही आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद की निंदा की गयी हो, लेकिन चीन संगठन के प्रमुख मसूद अजहर पर पाबंदी के मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग अजहर पर बैन से संबंधित सवाल पर कहा कि उन्होंने घोषणापत्र नहीं देखा है और उसके विषय में कुछ नहीं बोलेंगे. हालांकि, आतंक के खिलाफ हर अभियान में उनका देश दुनिया के साथ है. चीन हमेशा अजहर मसूद पर प्रतिबंध के खिलाफ रहा है. चीन संयुक्त राष्ट्र में अजहर को आतंकी घोषित करने के मामले में लगातार अड़ंगा लगाता रहा है.

ताकतवर ब्रिक्स
पार्टनरशिप और इनोवेशन विकास का जरिया : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने समिट के प्लेनरी सेशन में कहा कि शांति व विकास के लिए आपसी सहयोग सबसे अहम है. इस बात पर खुशी जाहिर की कि ब्रिक्स बैंक ने ऋण देने शुरू कर दिये हैं. यह विकास के काम के लिए नयी पहल है. एक ताकतवर ब्रिक्स पार्टनरशिप और इनोवेशन विकास का जरिया बन सकता है. हमारा मिशन गरीबी को हटाना, स्वास्थ्य, सफाई, कौशल विकास , खाद्य सुरक्षा, लिंग समानता और सबको शिक्षित करना है.

ग्लोबल गवर्नेंस
बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले ब्रिक्स : जिनपिंग
मोदी से पहले जिनपिंग ने प्लेनरी सेशन में कहा कि मतभेदों के बावजूद ब्रिक्स के सभी पांच देश विकास के एक ही स्तर पर हैं. जब दुनिया में इतने बदलाव हो रहे हैं, तो ब्रिक्स का सहयोग इस वक्त और महत्वपूर्ण हो गया है. दुनिया के साथ हमारे नजदीकी रिश्ते की ये जरूरत है कि हम ग्लोबल गवर्नेंस में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें. अंतरराष्ट्रीय शांति और विकास से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए हमें एक साथ एक आवाज में बोलना होगा.

आतंक की फंडिंग पर लगेगी रोक

ब्रिक्स नेताओं की बैठक के बाद 43 पृष्ठों के श्यामन घोषणापत्र को पारित किया गया. इसमें अफगानिस्तान में हिंसा पर तत्काल विराम लगाने पर जोर है. सभी देशों से आतंक के खिलाफ समग्र रुख अपनाने के साथ आतंकियों के फंडिंग पर शिकंजा कसने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है. भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की गयी. विदेश मंत्रालय में सचिव (इस्ट) प्रीति सरन ने कहा कि सभी ब्रिक्स नेता आतंक पर भारत के रुख से सहमत थे.

मोदी और शी की वार्ता आज

डोकलाम गतिरोध खत्म होने पर प्रधानमंत्री मोदी व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मंगलवार की सुबह पहली द्विपक्षीय बैठक होगी. इस दौरान दोनों नेता विश्वास बहाली के कदमों के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं. 73 दिन तक चले डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों गतिरोध छोड़ कर रिश्ते को नया आयाम देना चाहते हैं.

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