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राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सेना से कहा- लड़ाई के लिए रहें तैयार, युद्ध में जीतें

बीजिंग : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चीनी सैन्य बलों को उनकी संघर्ष क्षमताओं और युद्ध की तैयारी को सुधारने के निर्देश दिये हैं. एक आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गयी. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग ( सीएमसी) के प्रमुख शी ने सीएमसी के संयुक्त […]

बीजिंग : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चीनी सैन्य बलों को उनकी संघर्ष क्षमताओं और युद्ध की तैयारी को सुधारने के निर्देश दिये हैं. एक आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गयी. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग ( सीएमसी) के प्रमुख शी ने सीएमसी के संयुक्त सैन्य कमान का निरीक्षण करने के दौरान यह टिप्पणी की.

शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने शी का बयान दिखाया जिसमें उन्होंने कहा कि सैन्य बलों को लड़ने और युद्ध में जीतने के लिए तैयार करने के लिए सीएमएसी को उनका नेतृत्व करना चाहिए और पार्टी और लोगों द्वारा सौंपे गये नये युग के मिशन और कार्यों का भार उठाना चाहिए. यह दूसरी बार है जब शी ने सैन्य बलों की भूमिका पर प्रकाश डाला है. सीएमसी 23 लाख सैनिकों वाली विश्व की सबसे बडी सेना पीएलए की शीर्षस्थ कमान है.

चीन के पास है दुनिया की सबसे बड़ी सेना

पीएलए दुनिया की सबसे बड़ी मिलिट्री ताकत है. एशिया में इस संख्या बल के आस-पास भी कोई दूसरा देश नहीं टिकता है. दुनिया के सबसे बड़े आर्म्ड फोर्स पीएलए में 23 लाख जवान और अधिकारी हैं. पीएलए सीएमसी यानि चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के हाथ में है जिसका प्रमुख चीन के राष्ट्रपति हैं.

चीन और उसके पड़ोसी

पूरी दुनिया इस बात से अवगत है कि चीन के रगों में खून नहीं बल्कि विस्तारवादी नीति का प्रवाह है, जिसमें उसकी सेना की अहम भूमिका है. यही कारण है कि उत्तर कोरिया को छोड़कर चीन के संबंध किसी भी पड़ोसी देश से ठीक नहीं है. उत्तर कोरिया विवाद के कारण जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से चीन के रिश्‍तों में खटास आयी है. वहीं दक्षिण चीन सागर में अधिकार की लड़ाई में ब्रूनेई, फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और ताइवान के साथ चीन के रिश्ते खराब हुए हैं.

चीन के आगे जब भारत नहीं झुका

दूसरे पड़ोसियों की तरह भारत पर भी चीन अपने हेकड़ी दिखाना चाहता था लेकिन जिस तरीके से डोकलाम में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों के कदम रोक दिये उससे चीन की खूब फजीहत हुई. इस घटना के बाद बीजिंग को ये संदेश मिल गया कि भारत 62 का नहीं बल्कि 21वीं सदी का देश है. अगर संप्रभुत्ता पर खतरा आया तो चीन को करारा जवाब दिया जाएगा.

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