New CJI Gavai: जस्टिस गवई (Justice Bhushan Ramkrishna Gavai ) न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन के बाद भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाले दूसरे दलित चीफ जस्टिस हैं. जस्टिस गवई ने बुधवार को देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली. उन्हें राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई. उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ली है जो 65 वर्ष की आयु होने पर मंगलवार को रिटायर हुए. महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जन्मे जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में प्रमोट किया गया था. चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे.
अनुच्छेद 370, चुनावी बॉण्ड और नोटबंदी सहित कई फैसले सुना चुके हैं चीफ जस्टिस गवई
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में 24 मई 2019 को पदोन्नत किए गए जस्टिस गवई उन संविधान पीठों का हिस्सा थे, जिन्होंने अनुच्छेद 370, चुनावी बॉण्ड और 1,000 रुपये एवं 500 रुपये के नोट को अमान्य घोषित किए जाने सहित कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले सुनाए. जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की इस टिप्पणी पर रोक लगाई थी कि किसी महिला के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा खींचना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाएगा. उन्होंने अदालत की इस टिप्पणी पर कहा था कि यह पूरी तरह से असंवेदनशीलता और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती है.
चीफ जस्टिस गवई ने अपने कार्यकाल में करीब 300 फैसले लिखे
जस्टिस गवई संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, दीवानी और फौजदारी कानून, वाणिज्यिक विवाद, मध्यस्थता कानून और पर्यावरण कानून सहित विभिन्न विषयों से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली लगभग 700 पीठों का हिस्सा रहे. उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे.