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Uttarakhand News: मदरसा शब्द से क्यों परहेज? पूर्व सीएम हरीश रावत का बीजेपी पर वार, 2026 में खत्म हो जाएगा मदरसा बोर्ड अधिनियम

Uttarakhand News: उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 को मंजूरी दी, जिससे मुस्लिम के अलावा अन्य समुदायों को भी अल्पसंख्यक दर्जा मिलेगा. हरीश रावत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए इसे ‘कूप मंडूक सोच’ बताया, जबकि मदरसा बोर्ड अध्यक्ष ने फैसले का स्वागत किया और इसे लाभकारी बताया.

Uttarakhand News: उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने रविवार को अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 को मंजूरी दे दी. इस विधेयक के लागू होने के बाद राज्य में केवल मुस्लिम ही नहीं, बल्कि सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के संस्थानों को भी अल्पसंख्यक दर्जे का लाभ मिलेगा.

मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम होगा रद्द

पुष्कर सिंह धामी सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 को आगामी विधानसभा सत्र (19 अगस्त) में पेश किया जाएगा, जो कि 1 जुलाई, 2026 से प्रभावी होगा. इसके लागू होते ही राज्य में उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 और गैर-सरकारी अरबी एवं फारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019 निरस्त कर दिए जाएंगे.

गुरुमुखी और पाली भाषाओं में होगी पढ़ाई

नए कानून में एक प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है, जो सभी अल्पसंख्यक संस्थानों को मान्यता देगा और यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड के मानकों के अनुरूप हो. शर्तों का उल्लंघन करने या धनराशि के दुरुपयोग पर मान्यता समाप्त की जा सकेगी. अधिनियम लागू होने पर मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों में गुरुमुखी और पाली भाषा की पढ़ाई भी संभव होगी. सरकार का दावा है कि इससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शैक्षणिक विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा.

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में खत्म होगा मदरसा बोर्ड, धामी सरकार लाएगी अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक 2025

पूर्व सीएम हरीश रावत ने बीजेपी पर साधा निशाना

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने इसे लेकर बीजेपी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि भाजपा कूप मंडूक सोच वाली पार्टी है, जिसे ‘मदरसा’ जैसे उर्दू शब्द से परहेज क्यों है? मदरसा उर्दू का शब्द है और उर्दू गंगा-जमुनी संस्कृति की पैदाइश है. मदरसों का अपना इतिहास है जो देश के स्वतंत्रता संग्राम के साथ जुड़ा हुआ है. रावत ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा मदरसों को समाप्त करने का है.

मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने फैसले का किया स्वागत

दूसरी तरफ उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे सभी समुदायों, खासकर मुस्लिम समाज को लाभ मिलेगा और धार्मिक शिक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

Shashank Baranwal
Shashank Baranwal
जीवन का ज्ञान इलाहाबाद विश्वविद्यालय से, पेशे का ज्ञान MCU, भोपाल से. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के नेशनल डेस्क पर कार्य कर रहा हूँ. राजनीति पढ़ने, देखने और समझने का सिलसिला जारी है. खेल और लाइफस्टाइल की खबरें लिखने में भी दिलचस्पी है.

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