Sahara India Refund : सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप की उस याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए टाल दी, जिसमें अदाणी ग्रुप को संपत्तियां बेचने की अनुमति मांगी गई थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह न्यायमित्र द्वारा दिए गए अभिवेदन पर अपना जवाब दाखिल करे. मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की पीठ ने सहकारिता मंत्रालय को भी मामले में पक्षकार बनाया है, ताकि सभी पक्षों की राय सामने आ सके.
सहारा ग्रुप ने कई सहकारी समितियां बनाई हैं जो प्रभावित हो सकती हैं
इससे पहले केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सहारा ग्रुप ने कई सहकारी समितियां बनाई हैं जो प्रभावित हो सकती हैं. इस मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने कोर्ट को एक अभिवेदन सौंपा. इसके माध्यम से उन्होंने कहा कि उन्हें सहारा समूह द्वारा बेची जाने वाली संपत्तियों के संबंध में बहुत सारी आपत्तियां मिली हैं. खासतौर पर 34 संपत्तियों के संबंध में आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं.
न्यायमित्र द्वारा प्रस्तुत अभिवेदन पर प्रतिक्रिया दाखिल करना चाहते हैं सिब्बल
सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह न्यायमित्र द्वारा प्रस्तुत अभिवेदन पर प्रतिक्रिया दाखिल करना चाहेंगे. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि बहुत सारी संपत्तियां जाली दस्तावेजों के आधार पर बेची या पट्टे पर दी गईं. पीठ ने कहा कि बिक्री या पट्टे के दस्तावेजों पर गौर करने के लिए यह उपयुक्त मंच नहीं है और अधीनस्थ अदालत या (कोई गठित) विशिष्ट समिति ही इन दस्तावेजों पर गौर कर सकती है.
सरकार को अपना जवाब दाखिल करने दीजिए : प्रधान न्यायाधीश
प्रधान न्यायाधीश गवई ने नफड़े से कहा, ‘‘ सरकार को अपना जवाब दाखिल करने दीजिए और फिर हम उन मुद्दों पर विचार करेंगे.’’ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह के लिए टाल दी और केंद्र से सहारा कंपनी की याचिका के साथ-साथ न्यायमित्र के अभिवेदन पर भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा. शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर को सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की याचिका पर केंद्र, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य हितधारकों से जवाब मांगा था. इस याचिका में सहारा ने अपनी 88 प्रमुख संपत्तियों को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति मांगी थी.

