हैदरपुरा मुठभेड़ पर पुलिस की रिपोर्ट गलत है. पुलिस ने खुद को बचाने के लिए ऐसी रिपोर्ट बनायी है. पुलिस ने उन्हें मार डाला और इसमें कोई शक नहीं है. मेरा मानना है कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए. उक्त प्रतिक्रिया नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने हैदरपुरा मुठभेड़ पर आयी एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर दी है.
गौरतलब है कि हैदरपुरा मुठभेड़ की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने नेताओं को जांच के संबंध में अटकलबाजी करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है जिसके बाद पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी देकर हमें चुप कराने की कोशिश सफल नहीं होगी.
गौरतलब है कि हैदरपुरा में 15 नवंबर को मुठभेड़ हुई थी जिसमें एक पाकिस्तानी आतंकवादी और तीन अन्य लोग मारे गए थे. जो तीन लोग मारे गये थे उनके बारे में पुलिस ने कहा था कि इन लोगों का आतंकवादियों से संबंध था.
महबूबा मुफ्ती ने कहा-कार्रवाई की धमकी से हम चुप नहीं होंगे
हालांकि मारे गये लोगों के परिजनों का दावा था कि उनके परिवार वाले निर्दोष थे. इस मुठभेड़ में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त रूप से भाग लिया था. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने एक ट्वीट में कहा, विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा एसआईटी जांच के बारे में की गई टिप्पणी अटकलबाजी नहीं है. ये जमीनी सच्चाई है. दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी से हमें चुप कराने की कोशिश काम नहीं आएगी.
ज्ञात हो कि कल बुधवार को एसआईटी ने एक बयान में कहा था कि नेताओं की अटकलबाजी लोगों में या समाज के एक खास तबके में अफवाह और भय की स्थिति पैदा कर सकती है और इस तरह की चीजें कानून व्यवस्था के खिलाफ हैं तथा इस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
हैदरपुरा मुठभेड़ के बाद महबूबा मुफ्ती ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था और मारे गये लोगों की लाश के लिए लगातार प्रदर्शन किया था. महबूबा मुफ्ती का आरोप था कि पुलिस ने निर्दोष लोगों की हत्या की और अब उनकी लाश भी नहीं सौंप रही है.