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PESA Mahotsav: पेसा महोत्सव में दिखा आदिवासी कला, खेल और संस्कृति का संगम 

कबड्डी खेल प्रतियोगिता में झारखंड बना विजेता. खूंटी की रहने वाली सांगा ने कहा कि इतने बड़े आयोजन में शामिल होना गर्व की बात है. ऐसे आयोजन से खेल के प्रति आदिवासी लड़कियों में जुड़ाव होगा.

PESA Mahotsav: पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 की वर्षगांठ के मौके पर विशाखापत्तनम में दो दिवसीय ‘पेसा’ महोत्सव का शुभारंभ हुआ. पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित  केंद्र और आंध्र प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित इस दो दिवसीय आयोजन का मकसद पेसा अधिनियम के तहत आने वाले 10 राज्यों के आदिवासियों के जीवन में व्यापक बदलाव लाना है और अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं का विस्तार करके और स्थानीय स्वशासन में ग्राम सभाओं की भूमिका को मजबूत बनाना है.


महोत्सव का आयोजन अधिनियम के विषय में जागरूकता और इन क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों की क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. विशाखापट्टनम के प्रसिद्ध रामकृष्ण बीच पर पेसा दौड़ का आयोजन किया गया, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग खासकर आदिवासी युवाओं ने शिरकत की. लगभग 1500 युवा की भागीदारी रही. इस दौड़ को अर्जुन पुरस्कार विजेता एवं प्रसिद्ध तीरंदाज ज्योति सुरेखा वेनम, केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की संयुक्त सचिव मुक्ता शेखर, आंध्र प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग के आयुक्त मुत्याला राजू रेवु और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में झंडी दिखाकर रवाना किया गया. 


पुरुष वर्ग में महाराष्ट्र के लड़कों ने शीर्ष तीन में स्थान बनाया. जबकि लड़कियों में पहले स्थान पर हिमाचल प्रदेश और दूसरे स्थान पर झारखंड की हीरा सांगा रही. खूंटी की रहने वाली सांगा ने कहा कि इतने बड़े आयोजन में शामिल होना गर्व की बात है. ऐसे आयोजन से खेल के प्रति आदिवासी लड़कियों में जुड़ाव होगा. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिकारियों ने कहा कि यह आयोजन समुदाय-आधारित शासन और आदिवासी सशक्तिकरण के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह महोत्सव आदिवासी संस्कृति और स्थानीय विकास में ग्राम सभाओं की भूमिका को सशक्त करने, आदिवासियों की कला, सामुदायिक संपदा और संस्कृति की रक्षा करने का एक मंच प्रदान करता है. 


आदिवासी युवाओं को बड़ा मंच देने की पहल 


पेसा दौड़ के बाद आधिकारिक तौर पर महोत्सव का आगाज हुआ. कबड्डी और तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. इसमें झारखंड सहित 10 राज्यों के आदिवासी लड़की और लड़कों की टीम शामिल हुए. कबड्डी खेल प्रतियोगिता में झारखंड विजेता रहा.साथ ही सभी राज्यों के पारंपरिक कला और स्थानीय खान-पान का स्टॉल भी है. साथ ही पेसा राज्य में आदिवासी खेल जैसे चोलो, यदु पेंकुलता, गेड़ी दौड़, रसा कसी, पिठोर, सिकोर, चक्की खेल जैसे परंपरागत खेल का प्रदर्शन किया गया. विशाखापट्टनम पेसा के तहत अधिसूचित जिला है. ऐसे में जिले के 10 पेसा पंचायत में ग्राम सभा का आयोजन किया गया. इसमें ग्राम सभा को सशक्त बनाने, भूमि अधिकार मुहैया कराने, वन उत्पाद पर अधिकार, सामुदायिक संसाधन का प्रबंधन, छोटे जल संसाधन पर अधिकार, जहरीले पदार्थ और सूदखोरी पर नियंत्रण, परंपरा, कला और संस्कृति का संरक्षण जैसे विषयों पर चर्चा की गयी. गौरतलब है कि सोमवार को पेसा महोत्सव के शुभंकर कृष्ण जिंका का अनावरण करने के साथ पेसा रन टी-शर्ट और कैप जारी किया गया था. 

पहली बार मिला मौका 


देश के कई हिस्से में आज भी ऐसे कई आदिवासी समुदाय है, जिन्हें अपने क्षेत्र से बाहर निकलने का मौका नहीं मिला है. ऐसा ही एक आदिवासी समुदाय है सिद्दी. गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले के तलाला तालुका के मधुपुर-जंबूर ग्राम पंचायत के रहने वाले सिद्दी समुदाय के आदिवासी बच्चे पहली बार पेसा महोत्सव की कबड्डी प्रतियोगिता में शामिल हो रहे है. अफ्रीकी मूल का यह समुदाय इस्लाम धर्म को मानता है. प्रतियोगिता में शामिल इस समुदाय के बच्चे गांव के कीचड़ में कबड्डी खेलते रहे हैं. 


पहली बार इन बच्चों को इंडोर स्टेडियम में खेलने और दूसरे खिलाड़ियों और अधिकारियों से बातचीत करने का मौका मिला है. इसके बावजूद लीग मैच में इनका प्रदर्शन शानदार रहा. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद समुदाय के बच्चे आजीविका चलाने के लिए खेत, निर्माण स्थल और अन्य काम करते हैं. लेकिन इसके बावजूद खेल के प्रति इनका लगाव कम नहीं हुआ. पहली बार इस समुदाय के लड़कों को किसी राज्य या राष्ट्रीय खेल आयोजन में हिस्सा लेने का मौका मिला है. 


पेसा महोत्सव ऐसे युवाओं को आने वाले समय में प्रतिभाशाली खिलाड़ी बनने का मंच प्रदान करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त पंचायत के जरिये समग्र विकास की सोच को ध्यान में रखते हुए पंचायती राज मंत्रालय स्थानीय आदिवासी प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर पर मौका देने का काम कर रहा है. मंत्रालय नया भारत, विकसित भारत, विकसित पंचायत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शुरू में ही आदिवासी प्रतिभा की पहचान कर हर तरह की मदद देने के प्रयास में जुटा है. 

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