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Online Fraud With Indians: ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के मामलों में आई कमी, सरकार ने उठाया यह जरूरी कदम

वित्त राज्य मंत्री ने लोकसभा में कहा कि सरकार ने ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन को लेकर व्यापक कदम उठाए हैं. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में 185 करोड़ रुपये थे. जबकि, इस वर्ष 17.5 फीसदी की गिरावट के साथ यह राशि 128 करोड़ रुपये रह गया है.

ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन में धोखाधड़ी के मामले में कमी आई है. ऑनलाइन धोखाधड़ी में शामिल राशि वित्त वर्ष 2022 में लगभग 17.5 फीसदी घटकर 128 करोड़ रुपये रह गया है. जबकि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 160 करोड़ रुपये थे. यह आंकड़े राज्यसभा में सोमवार को दिए गए.

5 साल में धोखाधड़ी में आई कमी

वित्त राज्य मंत्री ने लोकसभा में कहा कि सरकार ने ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेने को लेकर व्यापक कदम उठाए हैं. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में 185 करोड़ रुपये थे. जबकि वित्तीय वर्ष 2022-21 में 160 करोड़ रुपये दर्ज किए गए थे. वहीं, इस वर्ष 17.5 फीसदी की गिरावट के साथ यह राशि 128 करोड़ रुपये रह गया है.

2020 तक 16450 मामले किए दर्ज

विपक्ष के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 से 2020 तक 16450 ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए थे. इनमें 89810 मामलों का निपटारा किया गया है. वहीं, आरबीआई ने भी बैंकों में साइबर सुरक्षा ढांचे पर निर्देश जारी किए हैं, जिससे धोखाधड़ी के मामलों में कमी आए.

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धोखाधड़ी को लेकर सरकार ने उठाए कदम

  • आरबीआई ने साल 2016 में बैंकों को साइबर सुरक्षा को लेकर निर्देश जारी किया था, जिसमें बैंकों को साइबर खतरों से निपटने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया था.

  • आरबीआई द्वारा साल 2019 में थर्ड पार्टी एटीएम स्विच एप्लीकेशन सर्विस प्रोवाइडर्स (एएसपी) के लिए साइबर सुरक्षा नियंत्रण पर दिशा निर्देश जारी किए गए थे.

  • बैंकों को ग्राहक डेटा की गोपनीयता और अखंडता की सुरक्षा को लेकर भी भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2021 में आवश्यक नियंत्रण स्थापित करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा डिजिटल सेवाओं से जुड़ी प्रक्रियाओं को लागू करने की सलाह दी गई थी.

  • डिजिटल लेनदेन में धोखाधड़ी को लेकर गृह मंत्रालय ने भी साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल शुरू किया, और ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री नंबर भी चालू किया गया.

  • संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-आईएन) डिजिटल प्रौद्योगिकियों के सुरक्षा को लेकर समय-समय पर अलर्ट और सलाह जारी करता है. साथ ही फिंशिंग वेबसाइटों को ट्रैक और जांच करने का काम करता है.

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