National Disaster Relief Fund: हाल ही में भारत के कई पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. सैकड़ों घर, होटल और वाहन बर्बाद हो चुके हैं. इस आपदा के बाद पीड़ितों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही उठता है अब आगे कैसे जिएं? क्या सरकार से राहत मिलेगी या बीमा कंपनी से कुछ क्लेम किया जा सकता है? आइए जानते हैं ऐसे हालात में कौन-कौन सी सहायता उपलब्ध है.
सरकार की ओर से राहत और मुआवजा
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर राष्ट्रीय और राज्य आपदा राहत कोष से सहायता राशि प्रदान करती हैं. बाढ़ में जान गंवाने पर मृतक के परिजनों को केंद्र से 2 लाख रुपये तक मिलते हैं, वहीं कुछ राज्यों में अतिरिक्त 4 लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है.
घायल लोगों का इलाज सरकार की ओर से कराया जाता है. घर, दुकान या खेत के नुकसान की भरपाई स्थानीय प्रशासन के सर्वे के आधार पर होती है.
आवेदन प्रक्रिया
सबसे पहले ग्राम पंचायत, नगर पालिका या ब्लॉक कार्यालय में जाकर नुकसान की लिखित रिपोर्ट दर्ज करनी होती है. सरकारी अधिकारी जाकर फोटो, वीडियो और रिपोर्ट तैयार करते हैं. इसके बाद आधार कार्ड, संपत्ति के दस्तावेज, नुकसान की तस्वीरें और मृत्यु होने की स्थिति में डेथ सर्टिफिकेट और पुलिस रिपोर्ट ली जाती है. जिला प्रशासन द्वारा रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को भेजी जाती है और उसके आधार पर राहत राशि जारी होती है.
बीमा कंपनियों की भूमिका
- अगर आपने पहले से बीमा पॉलिसी ले रखी है, तो सरकारी मदद के साथ-साथ बीमा से भी राहत मिल सकती है.
- होम इंश्योरेंस: बाढ़ या भूस्खलन से घर की दीवार, फर्नीचर और कीमती सामान को हुए नुकसान की भरपाई.
- मोटर इंश्योरेंस: बाढ़ में डूबे वाहनों के इंजन या पार्ट्स को हुए नुकसान का क्लेम.
- हेल्थ इंश्योरेंस: बाढ़ के बाद होने वाली बीमारियों या चोटों का इलाज कवर करता है.
- पैरामेट्रिक इंश्योरेंस: तय सीमा से ज्यादा बारिश होते ही ऑटोमेटिक क्लेम पास होता है.

