Constitution Amendment Bill: मोदी सरकार बुधवार को संसद में एक अहम विधेयक पेश करने जा रही है, जिसके तहत अगर पीएम, सीएम या कोई भी मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार होता है, तो उन्हें पद का त्याग करना होगा. अभी तक केवल दोष सिद्ध होने पर ही जनप्रतिनिधियों को पद से हटाया जा सकता था. लेकिन इस विधेयक के पास होने के बाद अगर 30 दिन तक हिरासत में रहते हैं, तो 31वें दिन पद से हटा हुआ मान लिया जाएगा. वहीं इस विधेयक को लेकर INDIA ब्लॉक के कई नेताओं ने विरोध किया है.
जनता का ध्यान हटाने की कोशिश- गौरव गोगोई
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विधेयक को लेकर कहा कि गृह मंत्री अमित शाह का यह विधेयक राहुल गांधी की धमाकेदार वोट अधिकार यात्रा से जनता का ध्यान हटाने की एक हताश कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है. पहले सीएसडीएस-भाजपा आईटी सेल का ड्रामा और अब ये विधेयक. लेकिन बिहार में साफ तौर पर बदलाव की बयार बह रही है.
विपक्षी सीएम को हटाने का एक और तरीका
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने इस विधेयक पर विरोध दर्ज कराया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी पर कोई आरोप न भी हो, तो भी इस सरकार में आरोप लगाए जा सकते हैं और लगाए भी जा रहे हैं. झूठे और गंभीर आरोपों में लोगों को जेल भेजा जा रहा है. जिन राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं हैं, उन्हें सत्ता से हटाने का एक और तरीका यह सरकार ला रही है. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मर्यादाएं अब बची ही नहीं हैं. जो लोग बिल ला रहे हैं वो समझ नहीं रहे हैं कि जिस दिन जाएंगे, तो दोबारा कभी लौटकर नहीं आएंगे.
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240 सासंदों वाली बीजेपी बदल रही संविधान
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने विधेयक की खिलाफ में कहा कि विपक्ष की भविष्यवाणियां सच साबित हुईं. सिर्फ 240 सांसदों वाली बीजेपी संविधान बदल रही है. नया विधेयक संघीय ढांचे और न्यायपालिका, दोनों को दरकिनार करता है. केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करके निर्वाचित विपक्षी मुख्यमंत्री को फर्जी आरोपों में गिरफ्तार कर सकती है और अदालत द्वारा दोषी साबित हुए बिना उन्हें बर्खास्त कर सकती है.
गृहमंत्री अमित शाह पेश करेंगे तीन विधेयक
गौरतलब है कि बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में लोकसभा में तीन मसौदा विधेयक पेश करने वाले हैं. इसमें संविधान का 130 वां संशोधन विधेयक, दूसरा केंद्र शासित प्रदेशों का शासन (संशोधन) विधेयक और तीसरा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक शामिल हैं. इन विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने और अगली संसदीय सत्र की समाप्ति से पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करने का प्रस्ताव भी रखा जाएगा.

