24.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

50%से अधिक पुरुषों ने कभी भी पार्टनर के लिए नहीं खरीदा Sanitary Pad, महिलाएं छुट्टी नहीं, चाहती है मेंस्ट्रुअल फ्रेंडली वर्कप्लेस

सर्वे में शामिल होने वाले 60.2 प्रतिशत पुरुषों ने बताया कि वे अपने पार्टनर से पीरिड्‌स के बारे में खुलकर बात करते हैं. वहीं 11 प्रतिशत से अधिक ने माना कि उन दिनों में वे अपनी पत्नी का बोझ कम करने के लिए कुछ नहीं करते हैं.

Menstrual Hygiene Day 2024 : पीरियड फ्रैंडली वर्ल्ड बनाने के लिए प्रयास जारी है और इस बार इस दिवस का आयोजन भी इसी थीम के साथ किया जा रहा है. इसी उद्देश्य से भारत की जानी मानी फेमनिन हाइजीन ब्रांड ऐवरटीन ने एक सर्वे किया है जिसके परिणाम चौंकाने वाले हैं. इस सर्वे की खास बात यह है कि इसमें कंपनी ने पुरुषों को भी शामिल किया है और उनसे सवाल पूछे हैं, ताकि यह पता चल सके कि मेंस्ट्रुअल हाइजीन को लेकर उनमें कितनी जागरुकता है. इस सर्वे में 18 से 35 वर्ष के 7800 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल की गईं. इन लोगों में तकरीबन 1000 पुरुष थे जिनमें ज्यादातर स्नातक या उससे से ज्यादा शिक्षित थे.


60 % पुरुष अपनी पार्टनर से पीरियड्‌स पर करते हैं खुलकर बात

ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2024 में भाग लेने वाले 60.2 प्रतिशत पुरुषों ने बताया कि वे अपनी पार्टनर से पीरियड्स के बारे में बहुत खुल कर बात करते हैं. यद्यपि, आधे से अधिक (52.2 प्रतिशत) पुरुषों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अब तक कि जिंदगी में अपनी पार्टनर के लिए कभी मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट यानी सेनेटरी नैपकिन नहीं खरीदा. केवल 11.7 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि जब उनकी पत्नी को माहवारी होती है तो वे उसके बोझ को कम करने के लिए घरेलू कामों की अतिरिक्त जिम्मेदारी उठाते हैं. मासिक धर्म के दौरान अपनी पार्टनर के अनुभव को बेहतर ढंग से समझने की बात करें तो 77.7 प्रतिशत पुरुषों का कहना था उन्होंने इस विषय पर स्वयं को शिक्षित करने के लिए कोई रिसर्च नहीं की या फिर बेहद कम रिसर्च की. 69.8 प्रतिशत पुरुष महसूस करते हैं कि मासिक धर्म को लेकर समाज में जो संकोच है, जो हिचक है उसके चलते उनके लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वे इस विषय पर अपनी पार्टनर से बात करें. 65.3 पुरुषों ने इस बात पर सहमति जताई की मासिक धर्म के बारे में पुरुषों को शिक्षित किया जाना चाहिए.

Also Read : पीएम मोदी 30 मई से 1 जून तक ध्यान में रहेंगे लीन, चुनाव प्रचार के बाद जाएंगे कन्याकुमारी

T20 WC 2024: ‘फाइनल में नहीं चलेगा ये बहाना’, वसीम अकरम ने टीम इंडिया पर कसा तंज


सोशल टैबू से होती है पुरुषों को परेशानी

मेंस्ट्रुएशन को लेकर हुए इस सर्वे में पुरुषों को शामिल किया जाना पहला कदम था और इससे धारणाओं में कुछ परिवर्तन में मदद मिली है क्योंकि 41.3 प्रतिशत पुरुषों ने वादा किया इस सर्वे में शामिल होने के बाद वे मासिक धर्म के बारे में स्वयं को शिक्षित करेंगे. जबकि 27.7 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी पार्टनर की जरूरतों को सुनेंगे और पीरियड्स के दौरान उन्हें सहयोग देंगे. 21.2 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे अपनी पार्टनर से इस विषय पर ज्यादा खुल कर बात करेंगे. पैन हैल्थकेयर के सीईओ चिराग पैन इस सर्वे पर कहते हैं, यदि हम पीरियड-फ्रैंडली दुनिया के सपने को हकीकत बनाना चाहते हैं पुरुषों को भी इसमें स्पष्ट रूप से भागीदारी निभानी होगी. अगर दुनिया की आधी आबादी मासिक धर्म के विषय पर बेपरवाह या अशिक्षित बनी रहेगी तो माहवारी के अनुकूल दुनिया बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकेगा. भारतीय समाज की वर्जनाएं पुरुषों के लिए इसे कठिन बना देती हैं कि वे मासिक धर्म को एक सामान्य घटना तौर पर स्वीकार कर सकें. हमने इस साल अपने ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में पुरुषों की भागीदारी शामिल कर के एक कोशिश की है और इस विषय पर उनसे संवाद आरंभ किया है. मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि इतने सारे पुरुष सहभागियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव हुआ है और उन्होंने पीरियड्स के दौरान अपनी महिला पार्टनरों को अतिरिक्त सहयोग देने का वादा किया है.


महिलाएं पैड खरीदने में संकोच करती हैं

ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में यह भी सामने आया कि 7.1 प्रतिशत महिलाएं अब भी अपने परिवार में पीरियड्स को लेकर किसी से बात नहीं करतीं. 56.8 प्रतिशत महिलाएं किराने या दवा की दुकान से सैनिटरी नैपकीन खरीदने में अब भी झिझकती हैं, खासकर तब जब वहां कोई ग्राहक मौजूद हो. 51.8 प्रतिशत महिलाएं पीरियड के पहले दो दिनों में ठीक से सो नहीं पातीं, जबकि 79.6 प्रतिशत महिलाएं रात को नींद में दाग लगने को लेकर चिंतित रहती हैं. 64.7 प्रतिशत महिलाओं ने मध्यम से लेकर गंभीर मेंस्ट्रुअल क्रैम्प अनुभव किए हैं. 53.1 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स के दौरान बाहर जाने से परहेज करती हैं. चार में से एक महिला (25.8 प्रतिशत) को नहीं मालूम था कि श्वेत स्राव होने पर क्या किया जाए और सिर्फ 32.8 प्रतिशत महिलाओं ने इस मुद्दे पर डॉक्टर से सलाह ली. 87.1 प्रतिशत महिलाओं की राय थी कि माहवारी की छुट्टियां देने की बजाय कंपनियों को मेंस्ट्रुअल फ्रेंडली कार्यस्थल तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए. 91.1 प्रतिशत महिलाओं का मानना था कि जो कंपनियां इस कॉन्सेप्ट को बढ़ावा देंगी वे ज्यादा महिलाओं को अपनी कंपनी जॉइन करने के लिए आकर्षित करेंगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें