Maratha Agitation: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे मनोज जरांगे की मांगों के आगे आखिरकार महाराष्ट्र सरकार को झुकना पड़ा है. महाराष्ट्र के लोकल न्यूज एजेंसी के अनुसार , राज्य मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की अगुआई में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को जरांगे और उनके समर्थकों से मुलाकात की, जिसमें कई मांगों को मंजूरी दे दी गई.
राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों से जुड़े केस सितंबर के अंत तक वापस लेने, हैदराबाद गजेटियर की मांग मानने, और मराठा-कुनबी समुदाय को एक समान दर्जा देने के लिए एक महीने का समय मांगा है. इसके अलावा जरांगे ने तीन अलग-अलग GR (सरकारी आदेश) की मांग की है – एक सतारा के लिए, एक हैदराबाद गजेटियर के लिए और एक बाकी मांगों के लिए.
मनोज जरांगे ने क्या कुछ कहा?
जरांगे ने कहा, “आपकी ताकत से हमें जीत मिली है. अगर GR मिल गया, तो हम गुलाल उड़ाकर जश्न मनाएंगे और मुंबई छोड़ देंगे.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा और किसी तरह की हुल्लड़बाजी नहीं होगी। गाड़ियों पर लगाए गए ₹5,000 के जुर्माने को भी सरकार ने हटाने का आश्वासन दिया है.
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जरांगे के वकील सतीश मानेशिंदे ने कोर्ट को बताया कि 90% प्रदर्शनकारी मुंबई से निकल चुके हैं और सभी वाहनों को हटाने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जल्द ही कैबिनेट सचिव और जरांगे की बैठक हो सकती है.
कौन हैं मनोज जरांगे?
मनोज जरांगे का जन्म महाराष्ट्र के बीड जिले के मटोरी गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई वहीं की और बाद में जालना जिले की अंबाड़ तहसील के शाहगढ़ में जाकर होटल और चीनी मिल में नौकरी की. यहीं से उनका जुड़ाव सामाजिक आंदोलनों से शुरू हुआ.

