Mahakumbh: कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी की रहने वाली 57 वर्षीय गौरी ने ऐसा काम कर दिखाया, जिससे हर कोई हैरान रह गया. वह प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में जाना चाहती थीं, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका. लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय एक अनोखा कदम उठाया. गौरी ने अपने घर के आंगन में ही 40 फीट गहरा कुआं खोद डाला, क्योंकि उनका मानना था कि अगर वे गंगा तक नहीं पहुंच सकतीं, तो वे अपनी ‘गंगा’ को अपने घर ले आएंगी.
पैसों की कमी ने रोका, लेकिन हौसला नहीं टूटा
गौरी का जीवन पूरी तरह से खेती पर निर्भर है और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. जब उन्हें पता चला कि प्रयागराज जाकर महाकुंभ में स्नान करना उनके लिए संभव नहीं होगा, तो उन्होंने एक अलग ही रास्ता अपनाया. 15 दिसंबर 2024 को उन्होंने अपने आंगन में कुआं खोदने का संकल्प लिया और बिना किसी की मदद के खुदाई शुरू कर दी.
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रोजाना 6-8 घंटे मेहनत कर पूरा किया काम
गौरी रोज़ाना 6 से 8 घंटे तक खुदाई करती रहीं। मिट्टी निकालना, उसे बाहर फेंकना और गहराई तक पहुंचना – यह कोई आसान काम नहीं था. लेकिन अपने दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने यह कठिन कार्य पूरा किया. लगभग दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद, 15 फरवरी 2025 को कुआं पूरी तरह तैयार हो गया. उनकी मेहनत और समर्पण को देखकर गांव के लोग भी प्रेरित हुए.
पहले भी खुदाई कर चुकी हैं कुएं
गौरी के लिए यह पहला मौका नहीं था जब उन्होंने कुआं खोदा हो. इससे पहले भी उन्होंने अपने खेत में सिंचाई के लिए एक कुआं खोदा था. इतना ही नहीं, उन्होंने गांव में पानी की समस्या को हल करने के लिए गणेश नगर आंगनवाड़ी स्कूल और अन्य जगहों पर भी कुएं खोदे हैं. उनकी इस सेवा भावना के कारण गांववाले भी उन्हें सम्मान की नजरों से देखते हैं.
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सरकार ने रोका, लेकिन गौरी नहीं रुकीं
गौरी द्वारा आंगनवाड़ी स्कूल में खोदे गए कुएं का मामला जब प्रशासन तक पहुंचा, तो जिला अधिकारियों ने खुदाई रोकने का आदेश दे दिया. लेकिन उत्तर कन्नड़ के तत्कालीन सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने उनका समर्थन किया और कुएं की खुदाई को पूरा करवाने में मदद की. आज वह कुआं कई लोगों की प्यास बुझा रहा है और गौरी की मेहनत की मिसाल बना हुआ है. गौरी की यह कहानी साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मुश्किल इंसान को रोक नहीं सकती. उनकी मेहनत और संकल्प आज पूरे देश में प्रेरणा बन गई है.
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