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Project Cheetah: दक्षिण अफ्रीका से लाये गये 12 चीते, वायुसेना के Mi-17 हेलीकॉप्टर से भेजे गये कूनो नेशनल पार्क

दक्षिण अफ्रीका से लाये जा रहे 12 चीतों के इस जत्थे में सात नर और पांच मादा चीते हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने की परियोजना के तहत नामीबिया से लाये गये आठ चीतों को 17 सितंबर को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था.

दक्षिण अफ्रीका से लाये गये 12 चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंच चुके हैं. सुबह दक्षिण अफ्रीका से 10 बजे उन्हें सेना के विशेष विमान से ग्वालियर लाया गया. भारत पहुंचने बाद चीतों को IAF का Mi-17 हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क भेजा गया. मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान 12 और चीतों के स्वागत के लिए पहले से ही तैयार था. मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सभी 12 चीतों को उनके नये घर कूनो नेशनल पार्क के पृथक बाड़े में छोड़ा.

सुबह 10 बजे भारत लैंड किये 12 चीते

ग्लोबमास्टर C17 विमान 12 चीतों को लेकर भारत पहुंचा. विामन ने ग्वालियर हवाई अड्डे पर सुबह 10 बजे लैंड किया. यहां से चीतों को कूनो पार्क ले जाया जाएगा. इस बार केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर और CM शिवराज चौहान कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.

12 चीतों के जत्थे में 7 नर और पांच मादा

दक्षिण अफ्रीका से लाये जा रहे 12 चीतों के इस जत्थे में सात नर और पांच मादा चीते हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने की परियोजना के तहत नामीबिया से लाये गये आठ चीतों को 17 सितंबर को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक मंच से लीवर घुमाकर लकड़ी के पिंजड़ों के दरवाजे खोलकर विशेष बाड़ों में पृथकवास में छोड़ा था, जिनमें पांच मादा एवं तीन नर चीते हैं.

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भारत पहुंचने के बाद चीतों को हेलीकॉप्टर से कूनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाया जाएगा

दक्षिण अफ्रीका से भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान से शनिवार सुबह ग्वालियर पहुंचने के 30 मिनट बाद इन चीतों को वहां से भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से करीब 165 किलोमीटर दूर कूनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाया जाएगा. दोपहर करीब 12 बजे कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के बाद इस चीतों को आधे घंटे (दोपहर 12.30 बजे) के बाद पृथक-वास में बाड़ों में रखा जाएगा.

भारत में आखिरी चीते की मृत्यु छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी

भारत में अंतिम चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को देश में 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था.

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