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मणिपुर में दो दशक बाद दिखाई गई हिंदी फिल्म, स्वतंत्रता दिवस समारोहों का उत्साह रहा फीका, सड़कें सुनसान

दो दशक में पहली बार, राज्य में स्वतंत्रता दिवस पर एक हिंदी फिल्म प्रदर्शित की गयी. आदिवासी संगठन हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एचएसए) द्वारा मंगलवार शाम चुराचांदपुर जिले के रेंगकई (लकमा) में फिल्म प्रदर्शित किया गया था.

मणिपुर में कई उग्रवादी संगठनों द्वारा सुबह से शाम तक आम बंद का आह्वान करने और पिछले तीन महीनों में जातीय हिंसा में बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान होने के चलते मंगलवार को राज्य में स्वतंत्रता दिवस समारोहों का उत्साह फीका रहा. बंद के चलते राज्य के ग्रामीण इलाकों में और राजधानी इंफाल के बड़े हिस्सों में दुकानें व बाजार बंद रहे तथा सड़कें सुनसान रहीं. इधर जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में दो दशक से अधिक समय के बाद बॉलीवुड सिनेमा की वापसी हुई. चुराचांदपुर में एक अस्थायी ओपन एयर थिएटर में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित एक हिंदी बॉलीवुड फिल्म दिखाई गई. रेंगकई में विक्की कौशल अभिनीत ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे.

अधिकारियों ने अपनी स्थिति साझा की

एक आधिकारिक आदेश के अनुपालन में, पर्वतीय और घाटी के जिलों के सरकारी कर्मचारी ध्वजारोहण समारोहों में हिस्सा लेने के लिए अपने-अपने कार्यालय पहुंचे. रॉबिन लैशराम नाम के सरकारी कर्मचारी ने कहा, मैं सुबह करीब साढ़े आठ बजे कार्यालय पहुंचा और ध्वजारोहण समारोह में हिस्सा लिया. मेरे ज्यादातर सहकर्मी वहां थे. कार्यक्रम के बाद हम सबने मौजूदा स्थिति पर चर्चा की. इस साल के अंत में सेवानिवृत्त होने वाली सुनिता देवी नाम की एक सरकारी कर्मचारी 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए अपने कार्यालय सबसे पहले पहुंची. कार्यालय में यह मेरा अंतिम वर्ष है. उसके बाद, मैं दिल्ली जाऊंगी और अपने बेटे के साथ रहूंगी. जातीय हिंसा भड़कने से पहले मैंने स्वतंत्रता दिवस पर अपने कार्यालय के सहकर्मियों के साथ जश्न मनाने की सोची थी. लेकिन मुझे अपनी सभी योजनाएं छोड़नी पड़ी क्योंकि जश्न मनाने जैसा कुछ नहीं रहा.

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मणिपुर में लोग अपने घरों के अंदर रहे बंद

राज्य व जिला स्तर पर समारोह, पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों के वितरण, राष्ट्रगान बजाने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भव्य तरीके से आयोजित किये गए. स्थानीय स्तर पर समारोह का उत्साह फीका रहा क्योंकि ज्यादातर लोग घरों से बाहर नहीं निकले. सरत टी नाम के स्थानीय कारोबारी ने कहा, पिछले तीन महीनों में जानमाल का काफी नुकसान हुआ है और इसलिए समारोहों का माहौल नहीं था. मेरे एक करीबी रिश्तेदार, जिनका घर मोरेह में जला दिया गया था, इंफाल ईस्ट जिले में एक राहत शिविर में हैं. हमने उनके परिवार के लिए कुछ खास व्यंजन बनाये हैं और उन्हें देने के लिए वहां जा रहे हैं. आज के दिन हमारा यही जश्न है. पिछले दो दिनों से राज्य समूचे इंफाल में स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए तैयारियों में जुटा हुआ था. शहर में मुख्य सड़कों और महत्वपूर्ण भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाये गये. कुछ लोगों ने केंद्र के ‘हर घर तिरंगा अभियान’ में भी हिस्सा लिया और अपने आवास पर तिरंगा लगाया. अधिकारियों ने बताया कि चुराचांदपुर जिले में कुकी-जो गांव के स्वयंसेवियों ने भी 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया. उन्होंने बताया कि कांगपोकपी शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी तिरंगा लगाया गया.

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दो दशक बाद दिखाई गयी हिंदी फिल्म

इस बीच, दो दशक में पहली बार, राज्य में स्वतंत्रता दिवस पर एक हिंदी फिल्म प्रदर्शित की गयी. आदिवासी संगठन हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एचएसए) द्वारा मंगलवार शाम चुराचांदपुर जिले के रेंगकई (लकमा) में फिल्म प्रदर्शित किया गया था. एचएसए ने कहा कि मणिपुर में पिछली बार 1998 में ‘कुछ-कुछ होता है’ सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की गई थी. हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध सितंबर 2000 में प्रतिबंधित संगठन रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट ने लगाने की घोषणा की थी.

दो दशक बाद दिखाई गयी हिंदी फिल्म

इस बीच, दो दशक में पहली बार, राज्य में स्वतंत्रता दिवस पर एक हिंदी फिल्म प्रदर्शित की गयी. आदिवासी संगठन हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एचएसए) द्वारा मंगलवार शाम चुराचांदपुर जिले के रेंगकई (लकमा) में फिल्म प्रदर्शित किया गया था. एचएसए ने कहा कि मणिपुर में पिछली बार 1998 में ‘कुछ-कुछ होता है’ सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की गई थी. हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध सितंबर 2000 में प्रतिबंधित संगठन रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट ने लगाने की घोषणा की थी.

फिल्म दिखाने से पहले इंफाल में बजाया गया राष्ट्रगान

फिल्म दिखाने से पहले राजधानी शहर से 63 किमी दूर स्थित ओपन एयर थिएटर में राष्ट्रगान बजाया गया. एचएसए ने बताया कि मणिपुर में आखिरी बार हिंदी फिल्म 1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ दिखाई गई थी. अधिकारियों ने बताया कि 12 सितंबर को प्रतिबंध लगाए जाने के एक सप्ताह के भीतर विद्रोहियों ने राज्य में दुकानों से एकत्रित किए गए हिंदी के 6,000 से 8,000 वीडियो और ऑडियो कैसेट जला दिए थे. आरपीएफ ने पूर्वोत्तर राज्य में इस प्रतिबंध की कोई वजह नहीं बतायी थी लेकिन केबल ऑपरेटरों ने कहा था कि उग्रवादी समूह को राज्य की भाषा और संस्कृति पर बॉलीवुड का नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है.

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