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सहमत नहीं.. लेकिन विपक्षी एकता की खातिर JPC जांच की मांग का नहीं करेंगे विरोध, सामने आया NCP चीफ का नया बयान

जेपीसी जांच की मांग को लेकर एनसीपी चीफ ने कहा कि विपक्षी एकता की खातिर वो इस मांग का विरोध नहीं करेंगे. जबकि, इससे पहले उन्होंने कहा था कि अगर संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाता है तो संसद में बीजेपी की संख्या बल को देखते हुए समिति में उसका बहुमत होगा.

अदाणी समूह के खिलाफ विपक्ष की ओर से जेपीसी जांच की मांग को लेकर एनसीपी चीफ शरद पवार का नया बयान सामने आया है. अपने नये बयान में शरद पवार ने कहा है कि विपक्षी एकता बनी रहे इसके लिए उनकी मांग का विरोध नहीं करेंगे. उन्होने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अदाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच कराने की भारतीय जनता पार्टी विरोधी पार्टियों की मांग से हालांकि सहमत नहीं है, लेकिन वह विपक्षी दलों की एकता की खातिर उनके रुख के खिलाफ नहीं जाएगी.

पहले क्या था पवार का बयान: गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने इससे अपने बयान में कहा था कि अगर संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाता है तो संसद में बीजेपी की संख्या बल को देखते हुए समिति में उसका बहुमत होगा और इससे इस तरह की जांच के परिणाम पर संदेह उत्पन्न होगा. मराठी समाचार चैनल से बातचीत में पवार ने कहा कि हमारी मित्र पार्टियों की राय हमसे अलग है, लेकिन हम अपनी एकता बनाए रखना चाहते हैं.  उन्होंने कहा कि अगर हमारे सहयोगियों को लगता है कि जेपीसी जरूरी है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे.

शरद पवार ने अपने बयान में कहा कि हम विपक्षी दलों से इस मामले में सहमत नहीं हैं, लेकिन विपक्षी एकता की खातिर हम जेपीसी नहीं होनी चाहिए मुद्दे पर जोर नहीं देंगे. इससे पहले शनिवार को उन्होंने कहा था कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी जांच के पूरी तरह से विरोध में नहीं हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच समिति इस मामले में अधिक उपयोगी और प्रभावी साबित होगी.

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बता दें, पवार की टिप्पणी को विपक्षी एकता के लिए एक झटके के तौर पर देखा गया. वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस मुद्दे पर एनसीपी के अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन समान विचारधारा वाले 19 दलों का मानना है कि प्रधानमंत्री से जुड़े अडाणी समूह का मुद्दा वास्तविक और बहुत गंभीर है. इसी कड़ी में उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने शेयर बाजारों के लिए विभिन्न नियामक पहलुओं को देखने के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन करने का आदेश दिया था, जिसमें हिंडनबर्ग रिसर्च के धोखाधड़ी के आरोपों से हाल ही में अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट शामिल है. 

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