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Electronic Waste Management: ई-कचरा और बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सख्त नियम लागू

देश में 2024-25 में करीब 14 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न हुआ है.केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) द्वारा ऑनलाइन ई-अपशिष्ट ईपीआर पोर्टल विकसित किया गया है, जहां उत्पादकों, निर्माताओं, पुनर्चक्रणकर्ताओं और रिफर्बिशर्स का पंजीकरण अनिवार्य कर ई-कचरे के वैज्ञानिक पुनर्चक्रण के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है.

Electronic Waste Management: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश में इलेक्ट्रॉनिक एवं बैटरी अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान और पुनर्चक्रण(रीसाइक्लिंग) को बढ़ावा देने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. मंत्रालय ने ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 को 1 अप्रैल 2023 से लागू किया है, जो 106 प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर और यूपीएस को कवर करते हैं. साथ ही, अगस्त 2022 में लागू ‘बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम’ सभी प्रकार की बैटरियों इलेक्ट्रिक वाहन, पोर्टेबल, ऑटोमेटिक और औद्योगिक  पर लागू है. इन नियमों के तहत निर्माताओं और आयातकों को अनिवार्य विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (इपीआर) लक्ष्य दिए गए हैं, ताकि अपशिष्ट बैटरियों को लैंडफिल में फेंकने के बजाय पुनर्चक्रित या नवीनीकृत किया जा सके. 

ई कचरे के निपटान के लिए उठाये गये कदम

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि देश में ई-कचरे का उत्पादन (सीपीसीबी अनुमान) के मुताबिक 2023-24 में 12,54,286.55 टन था जो  2024-25 में 13,97,955.59 टन रहा. सीपीसीबी द्वारा ऑनलाइन ई-अपशिष्ट ईपीआर पोर्टल विकसित किया गया है, जहां उत्पादकों, निर्माताओं, पुनर्चक्रणकर्ताओं और रिफर्बिशर्स का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है. ई-कचरे के वैज्ञानिक पुनर्चक्रण के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है, जिसमें मशीनरी और प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की विस्तृत जानकारी है.

साथ ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) और प्रदूषण नियंत्रण समितियां (पीसीसी) कार्य योजना के तहत तिमाही रिपोर्ट दे रही हैं, जिसके आधार पर आगे की रणनीति बनायी जा रही है. इतना ही नहीं नियम उल्लंघन पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति (EC) लगाने के प्रावधान सहित जल, वायु और पर्यावरण संरक्षण कानूनों के तहत अनधिकृत गतिविधियों पर निगरानी और कार्रवाई की जाती है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का मानना है कि ये नियम चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे और इलेक्ट्रॉनिक एवं बैटरी अपशिष्ट के पर्यावरण-अनुकूल निपटान को सुनिश्चित करेंगे.

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