Election Commission: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की ओर से हर स्तर पर तैयारी की जा रही है. चुनाव आयोग ने दूसरे चरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपीएटी) का पहला रैंडमाइजेशन का काम पूरा कर लिया है. यह प्रक्रिया राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में पूरी की गयी. चुनाव आयोग के अनुसार राज्य के 20 जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर के कुल 122 विधानसभा क्षेत्रों में 11 नवंबर को मतदान होना है. इस चरण में दूसरे चरण का मतदान होगा.
चुनाव आयोग ने कहा कि 18 जिलों की 121 सीटों के लिए पहला रैंडमाइजेशन का काम 11 अक्टूबर को पूरा हो चुका है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) द्वारा ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस) सॉफ्टवेयर का उपयोग करके रैंडमाइजेशन किया गया है.
चुनावी पारदर्शिता होगी सुनिश्चित
चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए ईवीएम और वीवीपैट के विवरण राजनीतिक दलों के साथ साझा किए जाएंगे. 54,311 कंट्रोल यूनिट (सीयू) और 58,123 वीवीपैट को 121 निर्वाचन क्षेत्रों में आवंटित किया गया, जिसमें 45,336 मतदान केंद्र शामिल थे. ईवीएम और वीवीपैट की निर्वाचन क्षेत्रवार सूचियां सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ उनके संबंधित जिला मुख्यालयों पर साझा की गयी है. चुनाव आयोग की ओर से ईवीएम और वीवीपैट को पार्टी प्रतिनिधियों की देखरेख में संबंधित विधानसभा के स्ट्रांग रूम में संग्रहीत किया जाएगा.
चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखने के लिए पहले ईवीएम और वीवीपैट का विवरण सभी उम्मीदवारों के साथ साझा किया जाएगा. चुनाव आयोग का मकसद चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है ताकि चुनाव परिणाम के बाद ईवीएम को लेकर किसी तरह का विवाद पैदा नहीं हो.
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