Defense: समय के साथ युद्ध का तरीका बदल रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना युद्ध के दौरान त्वरित और तय समय में उचित कार्रवाई करने को लेकर रणनीति तैयार की है. भविष्य में होने वाले युद्ध की रणनीति तय करने के लिए मंगलवार से मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी कॉलेज में भावी युद्ध की रणनीति तय करने को लेकर व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श का आगाज किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(सीडीएस) अनिल चौहान ने कहा कि भविष्य के युद्धों में जीत सुनिश्चित करने के लिए सेना को हर क्षेत्र में त्वरित और निर्णायक कदम उठाना होगा. क्योंकि भावी युद्ध तकनीक के आधार पर लड़े जाएंगे और भविष्य का युद्धक्षेत्र सीमाओं से अलग होगा. तकनीकी युद्ध के मैदान में देशों की सीमाओं का महत्व नहीं रहेगा.
सीडीएस ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और एकीकृत लॉजिस्टिक समय की मांग है. संयुक्त प्रशिक्षण को संस्थागत बनाने और परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर और क्वांटम जैसी निरंतर विकसित हो रही तकनीकों को अपनाने की जरूरत है. यह तकनीक बचाव और आक्रमण का काम करेगी. भविष्य के युद्धों में विजय हासिल करने के लिए नयी तकनीक का महत्व काफी बढ़ गया है.
इतिहास भारतीय कला के महत्व को करता है साबित
जनरल अनिल चौहान ने कहा कि कौटिल्य के जमाने से भारत प्राचीन काल से ही विचारों और ज्ञान का स्रोत रहा है. भारतीय युद्धों के विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण या रणनीति पर अकादमिक चर्चा को लेकर काफी कम संख्या में साहित्य उपलब्ध है. युद्ध, नेतृत्व, प्रेरणा, मनोबल और तकनीक के विभिन्न आयामों पर गंभीर शोध किए जाने की आवश्यकता है. भारत को सशक्त, सुरक्षित, आत्मनिर्भर और विकसित भारत का लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है, जब सभी हितधारक भविष्य के लिए तैयार सेना के निर्माण में सामूहिक भागीदारी को सुनिश्चित कर सकें.
सीडीएस ने कहा कि रण संवाद का मकसद सेना के लिए एक मंच तैयार करना है. ताकि युवा और मध्यम स्तर के अधिकारियों को तकनीकी ज्ञान मुहैया कराया जा सके. मौजूदा समय में सेना को हर स्तर पर विचार सुनने की आवश्यकता है ताकि एक ऐसा वातावरण तैयार किया जा सके जहां नए विचारों के बीच सामंजस्य और सद्भाव, सैन्य-कर्मियों द्वारा प्रदान किए गए अनुभव के साथ सह-अस्तित्व में रह सके. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दूसरे और अंतिम दिन पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे.

