पटना : केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह स्वयं एक शिक्षक रह चुके हैं. इसलिए वह शिक्षकों की समस्याओं और जरूरतों से भलीभांति परिचित हैं. बिहार के शिक्षकों एवं स्नातकों के साथ गुरुवार को उन्होंने ‘वर्चुअल संवाद’ करने के दौरान आधुनिक शिक्षा और नयी शिक्षा नीति के बारे में चर्चा की.
उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका समाज में एक शिल्पी की होती है. एक शिक्षक के पास आनेवाली पीढ़ियों के भविष्य को संवारने की क्षमता होती है. केंद्र सरकार ने हमारे बच्चों और युवाओं के समग्र विकास के लिए नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी है.
राजनाथ सिंह ने बिहार के शिक्षकों से संवाद करते हुए कहा कि करीब 34 साल के बाद देश में एक नयी शिक्षा नीति आयी है. नयी शिक्षा नीति नूतन और पुरातन शिक्षा का समागम है. यह नये भारत की नयी आकांक्षाओं और जरूरतों के हिसाब से तैयार की गयी है.
उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को और बेहतर तथा कारगर बनाने की रूपरेखा तैयार की गयी है. इस नयी रूपरेखा में शिक्षक और विद्यालय दोनों मिल कर एक ऐसे वातावरण का निर्माण करेंगे, जिसमें बच्चा अपनी प्रतिभा और क्षमता के अनुरूप सीखने की प्रक्रिया से जुड़ेगा.
रक्षा मंत्री ने कहा कि नये भारत में शिक्षा-दीक्षा के नये मुहावरे गढ़े जायेंगे, जहां बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षण और खोज आधारित शिक्षण की तरफ बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. इससे हर बच्चे का समुचित और समग्र विकास हो सकेगा.
राज्य में शिक्षकों की दशा पर उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षकों ने तो बहुत बुरा समय देखा हैं, बहुत संघर्ष किया हैं. मुझे वह समय आज भी याद है, जब बिहार के शिक्षक सड़कों पर आये दिन आंदोलन करने के लिए मजबूर होते थे. कारण क्या होता था? छह महीने से वेतन नहीं मिला? साल भर से वेतन नहीं मिला?
वहीं, लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में शिक्षण व्यवस्था की चर्चा करते हुए कहा कि चरवाहा विद्यालय जैसे कांसेप्ट के साथ तालमेल मिलाकर काम करना, और तेल पिलावन-लाठी घुमावन, जैसे माहौल में भी काम करना अपनेआप में बेहद चुनौतीपूर्ण था. हम सबकी यही कोशिश है कि बिहार के किसी भी शिक्षक को अब कभी भी उस तरह की कठिनाइयों का सामना फिर से ना करना पड़े. रक्षा मंत्री की वर्चुअल सभा का सीधा प्रसारण बिहार भाजपा के यू-ट्यूब और फेसबुक पेज के जरिये भी किया गया.