Defense: वैश्विक स्तर पर युद्ध का तरीका तेजी से बदल रहा है. अब परंपरागत युद्ध की बजाय तकनीक का महत्व काफी बढ़ गया है. युद्ध के बदलते तरीके से निपटने के लिए सैनिकों को युद्ध कौशल में उत्कृष्टता हासिल करने के साथ-साथ मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक सशक्तिकरण में भी समान रूप से कुशल होना होगा. मौजूदा समय में साइबर, अंतरिक्ष, सूचना और मनोवैज्ञानिक मोर्चों पर युद्ध लड़े जा रहे हैं और सैनिकों को मानसिक रूप से मजबूत होने की आवश्यकता है. राष्ट्र की रक्षा केवल हथियारों से नहीं, बल्कि मजबूत व्यक्तित्व, प्रबुद्ध चेतना और जागरूकता से भी की जा सकती है. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही.
रक्षा मंत्री ने कहा कि एक सैनिक के लिए शारीरिक मजबूती के साथ ही मानसिक तौर पर सशक्त होना जरूरी है. सैनिक कठिन परिस्थितियों में सेवा करते हुए देश की रक्षा करते हैं और इन चुनौतियों का सामना एक मजबूत आंतरिक आत्मा से पैदा हुई ऊर्जा के जरिए किया जाता है. लंबे समय तक तनाव, अनिश्चितता और कठिन परिस्थितियों में काम करने से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, जिसके लिए आंतरिक आत्मा को मजबूत करने की जरूरत है.
शरीर ही नहीं मन से मजबूत होना जरूरी
रक्षा मंत्री ने कहा कि मौजूदा वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए सैनिकों का मानसिक तौर पर मजबूत होना जरूरी है. ध्यान, योग, सकारात्मक सोच और आत्म-संवाद के जरिये आत्म-परिवर्तन हमारे बहादुर सैनिकों को मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करेगा. वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भारत यह संदेश दे सकता है कि आंतरिक-आत्मा और सीमाओं की सुरक्षा एक साथ संभव है. एक सतर्क और मजबूत सुरक्षाकर्मी राष्ट्र के लिए प्रकाश स्तंभ बन जाता है, जो किसी भी तूफान का दृढ़ संकल्प के साथ सामना कर सकता है.
कार्यक्रम में पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग, रक्षा मंत्रालय और मुख्यालय एसएसडब्ल्यू, ब्रह्माकुमारी के राजयोग शिक्षा और अनुसंधान फाउंडेशन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. इसका मकसद पूर्व-सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) के लाभार्थियों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने और दवाओं पर निर्भरता कम करने की दिशा में मार्गदर्शन करना है.